5 low budget Bollywood films that earned crores: कम बजट की वो 5 बॉलीवुड फ़िल्में जिन्होंने कर डाली करोड़ों की कमाई
असली सिनेमा की जीत
कहानी
:सस्पेंस की सादगी में क्रांति इस फिल्म का बजट: ₹8 करोड़ है।बॉक्स ऑफिस कलेक्शन: ₹104 करोड़+मुख्य कलाकार: विद्या बालन -डायरेक्टर: सुजॉय घोष-लोकेशन: कोलकाता की सड़कों पर लाइव शूटिंग यह फ़िल्म का लीड रोल एक गर्भवती महिला का था जो अकेले अपने पति की तलाश में कोलकाता आती है बिना मेल लीड के फिल्म को दमदार बनाया विद्या बालन के अभिनय ने। लोकल साउंड, भीड़ में शूटिंग और नो-नॉनसेंस थ्रिल ने इसे वास्तविक बना दिया।इसका फायदा विद्या बालन का स्टारडम बढ़ा और महिला-केंद्रित फिल्मों का ट्रेंड बढ़ा।साबित हुआ कि सस्पेंस और कहानी में ताकत हो तो फॉर्मूला नहीं चाहिए।
विक्की डोनर
बोल्ड टॉपिक, मजेदार पैकेज इसका बजट: ₹5 करोड़ इसकी कमाई: ₹66 करोड़+हुई थी मुख्य कलाकार: आयुष्मान खुराना, यामी गौतम और निर्देशक: शूजित सरकार थे प्रोड्यूसर: जॉन अब्राहम (उनकी पहली फिल्म बतौर निर्माता) इसको बड़े अभिनेताओं ने इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि स्पर्म डोनेशन जैसे विषय पर फिल्म बनाना 2012 में एक बहुत ही जोखिम भरा विचार था। कई एक्टर और प्रोड्यूसर डर गए कि समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन फिल्म ने कमाल कर दिया स्क्रिप्ट स्मार्ट थी और टॉपिक को हल्के-फुल्के लेकिन जिम्मेदार अंदाज़ में पेश किया गया।जबरदस्त संगीत, खासकर “Pani Da Rang” हिट हुआ। और आयुष्मान का करियर लॉन्च हुआ,और नए टॉपिक पर फिल्में बनाने की हिम्मत आई। समाज में एक टैबू विषय पर खुलकर चर्चा शुरू हुई।
बधाई हो
हंसी के पीछे गंभीर संदेश दिया इसका बजट: ₹29 करोड़ का था और इसकी कमाई: ₹221 करोड़ हुई ।मुख्य कलाकार: आयुष्मान खुराना, नीना गुप्ता, गजराज राव थे और निर्देशक: अमित शर्मा थे जॉनर: फैमिली ड्रामा + सोशल कॉमेडी का था इस फिल्म को कई लोगों ने मना किया 50 + की उम्र में महिला की प्रेगनेंसी को लेकर फिल्म बनाना जोखिम भरा था। विषय को “असहज” और “बहुत देसी” माना गया।लेकिन फिर भी फिल्म ने कमाल किया क्योंकि ऑथेंटिक दिल्ली मिडल-क्लास फैमिली सेटअप किया गया इसको मजाक में लिपटा हुआ सामाजिक कॉमेंट्री नीना गुप्ता और गजराज राव की मासूमियत और कॉमिक टाइमिंग है। इसका इम्पैक्ट सिनेमाई भाषा में ‘मिडल एज’ रोमांस की वापसी उम्र के आधार पर एक्टिंग टैलेंट को फिर से पहचान आयुष्मान का ब्रांड और मजबूत हुआ
ब्लैक फ्राइडे
सच्चाई की हिम्मत इसका बजट: ₹2.5 करोड़ था लेकिन कमाई: ₹9 करोड़ (लेकिन कल्ट स्टेटस मिला) डायरेक्टर: अनुराग कश्यपथे कहानी: 1993 मुंबई ब्लास्ट पर आधारित थी इस फिल्म को कई लोगों ने रिजेक्ट कर दिया था
मुंबई धमाकों पर फिल्म बनाना राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील था। सेंसर बोर्ड ने इसे रोक दिया, कई एक्टर्स पीछे हट गए।लेकिन फिर भी यह फिल्म हिट हुई सच्ची घटनाओं पर सच्ची कहानी डॉक्यूमेंट्री टच और शानदार रिसर्च बिना ग्लैमर के रॉ और ग्राउंडेड सिनेमा बनी इसका इम्पैक्ट अनुराग कश्यप को इंडस्ट्री में अलग पहचान मिली आज इसे इंडिया की बेस्ट क्राइम थ्रिलर फिल्मों में गिना जाता है नई जनरेशन को रियल सिनेमा की दिशा मिली
स्त्री
— डर, हंसी और समाज का आईना बजट: ₹23 करोड़ का था लेकिन कमाई लाजवाब हुई थी ₹180 करोड़+ और मुख्य कलाकार: राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर थी डायरेक्टर: अमर कौशिक जॉनर फिल्म हॉरर + कॉमेडी + फेमिनिज़्म सटायर थी लोग हिचकिचा थे
हॉरर-कॉमेडी का फॉर्मेट नया था, और फीमेल भूत का सामाजिक सन्देश देना अजीब लगा कुछ लोगों को।यह फिल्म क्यों चली लोकल फोक कहानियों का समावेश
मजेदार डायलॉग्स (“ओ स्त्री, कल आना”)सामाजिक सोच पर कटाक्ष इसका इम्पैक्ट: इस जॉनर को मुख्यधारा में लाया गया राजकुमार राव की रेंज को दर्शकों ने पहचाना मिली स्त्री की सफलता ने ‘भूत वाली बात’ को फेमिनिज़्म से जोड़ दिया
कम बजट की ये फिल्में सिर्फ सिनेमा नहीं, क्रांति थीं
जब पूरे बॉलीवुड में ग्लैमर और सुपरस्टार कल्चर हावी था, तब इन फिल्मों ने हमें याद दिलाया कि कहानी, भावना और सच्चाई ही असली सिनेमा की आत्मा हैं।
आज जब लोग रील्स और वायरलिटी की दुनिया में खो रहे हैं, तब भी ये फिल्में हमें सोचने, महसूस करने और समझने के लिए मजबूर करती हैं।
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