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एक देश एक चुनाव बिल पर मोदी सरकार हार गई, विपक्ष क्यों पीट रहा ढोल?

एक देश एक चुनाव विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया और जेपीसी को भेज दिया गया. विपक्ष कह रहा है कि बिल को पेश करने के लिए वोटिंग में बिल को पास कराने के लिए सरकार जरूरी दो तिहाई बहुमत नहीं जुटा पाई. विपक्ष इतना खुश क्यों हो रहा है जानिए पूरी कहानी.

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  • December 17, 2024 6:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली. वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव बिल आज लोकसभा में पेश हो गया और संक्षिप्त बहस के बाद उसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेज दिया गया. मोदी सरकार पहले से ही तैयारी बठी थी और गृह मंत्री अमित शाह ने बीच में हस्तक्षेप कर कानून मंंत्री अर्जुन मेघवाल से कहा कि इसे जेपीसी को भेज दिया जाए. इसके लिए 129 संविधान संशोधन बिल पेश किया गया.

बिल के पक्ष में दो तिहाई बहुमत नहीं

विपक्ष ने बिल को रखने के लिए वोटिंग की मांग की. विपक्ष की मांग पर वोटिंग हुई भी जिसमें बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. बस क्या था विपक्ष खुशी के मारे झूम उठा और आरोप जड़ दिया कि सरकार के पास बिल को पास कराने के लिए वहां मौजूद 461 वोटों में से दो-तिहाई बहुमत यानी 307 की जरूरत थी जिसे सरकार हासिल नहीं कर पाई. इसको लेकर कांग्रेस के सांसद मनिक्कम टैगोर ने एक ट्वीट भी कर दिया और बताया कि सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है .

 

विपक्ष क्यों उछल रहा

दरअसल जिस समय यह बिल लोकसभा में पेश किया गया और उस पर वोटिंग हुई उस समय पक्ष विपक्ष के 461 सांसद सदन में मौजूद थे. बिल को पेश करने के लिए साधाराण बहुमत की जरूरत होती है और उस हिसाब से बिल के पक्ष में 269 सांसदों ने वोटिंग की. बहुमत से बिल पेश हो गया लेकिन विपक्ष कह रहा है कि इसे पास कराने के लिए कुल सदस्यों का बहुमत और सदन में मौजूद सांसदों का दो-तिहाई बहुमत चाहिए.

विपक्ष इस बात को छिपा ले रहा

विपक्ष होशियारी से ये बात छिपा ले रहा है कि बिल पास कराने के दिन दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी जिसे सरकार जुटाएगी. बिल को पेश करने के लिए इस आंकड़े यानी आज के हिसाब से 307 की जरूरत नहीं थी. इसी को आधार बनाकर टैगोर ट्वीट कर रहे हैं और कांग्रेस सांसद शशि थरूर कह रहे हैं कि जिद छोड़ दीजिए आपके पास नंबर नहीं है.

आपको बता दें कि बिल को पेश करते समय कांग्रेस के मनीष तिवारी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और डीएमके के टीआर बालू ने विरोध बिल के विरोध में बोला. शिवसेना उद्धव गुट, एनसीपी शरद पवार गुट के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई छोटे दलों ने इसका विरोध किया था.

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