एक देश एक चुनाव विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश हो गया और जेपीसी को भेज दिया गया. विपक्ष कह रहा है कि बिल को पेश करने के लिए वोटिंग में बिल को पास कराने के लिए सरकार जरूरी दो तिहाई बहुमत नहीं जुटा पाई. विपक्ष इतना खुश क्यों हो रहा है जानिए पूरी कहानी.
नई दिल्ली. वन नेशन, वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव बिल आज लोकसभा में पेश हो गया और संक्षिप्त बहस के बाद उसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में भेज दिया गया. मोदी सरकार पहले से ही तैयारी बठी थी और गृह मंत्री अमित शाह ने बीच में हस्तक्षेप कर कानून मंंत्री अर्जुन मेघवाल से कहा कि इसे जेपीसी को भेज दिया जाए. इसके लिए 129 संविधान संशोधन बिल पेश किया गया.
विपक्ष ने बिल को रखने के लिए वोटिंग की मांग की. विपक्ष की मांग पर वोटिंग हुई भी जिसमें बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. बस क्या था विपक्ष खुशी के मारे झूम उठा और आरोप जड़ दिया कि सरकार के पास बिल को पास कराने के लिए वहां मौजूद 461 वोटों में से दो-तिहाई बहुमत यानी 307 की जरूरत थी जिसे सरकार हासिल नहीं कर पाई. इसको लेकर कांग्रेस के सांसद मनिक्कम टैगोर ने एक ट्वीट भी कर दिया और बताया कि सरकार के पास दो तिहाई बहुमत नहीं है .
Two-thirds majority (307) was needed out of the total 461 votes, but the government secured only 263, while the opposition got 198. The ‘One Nation, One Election’ proposal failed to gain two-thirds support. pic.twitter.com/5GIQQ0qY7r
— Manickam Tagore .B🇮🇳மாணிக்கம் தாகூர்.ப (@manickamtagore) December 17, 2024
दरअसल जिस समय यह बिल लोकसभा में पेश किया गया और उस पर वोटिंग हुई उस समय पक्ष विपक्ष के 461 सांसद सदन में मौजूद थे. बिल को पेश करने के लिए साधाराण बहुमत की जरूरत होती है और उस हिसाब से बिल के पक्ष में 269 सांसदों ने वोटिंग की. बहुमत से बिल पेश हो गया लेकिन विपक्ष कह रहा है कि इसे पास कराने के लिए कुल सदस्यों का बहुमत और सदन में मौजूद सांसदों का दो-तिहाई बहुमत चाहिए.
विपक्ष इस बात को छिपा ले रहा
विपक्ष होशियारी से ये बात छिपा ले रहा है कि बिल पास कराने के दिन दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी जिसे सरकार जुटाएगी. बिल को पेश करने के लिए इस आंकड़े यानी आज के हिसाब से 307 की जरूरत नहीं थी. इसी को आधार बनाकर टैगोर ट्वीट कर रहे हैं और कांग्रेस सांसद शशि थरूर कह रहे हैं कि जिद छोड़ दीजिए आपके पास नंबर नहीं है.
आपको बता दें कि बिल को पेश करते समय कांग्रेस के मनीष तिवारी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और डीएमके के टीआर बालू ने विरोध बिल के विरोध में बोला. शिवसेना उद्धव गुट, एनसीपी शरद पवार गुट के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित कई छोटे दलों ने इसका विरोध किया था.
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