आखिर क्यों जगन्नाथ पुरी के रक्षक 'बेड़ी हनुमान' को श्री कृष्ण ने लोहे की जंजीरों से बांधा है?
बेड़ी हनुमान मंदिर ओडिशा के पुरी समुद्र तट के पास चक्र तीर्थ रोड पर स्थित है, जहां समुद्र के पास होने की वजह से इसे भक्त दरिया महावीर मंदिर के नाम से भी जानते हैं.
इस मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा लोहे की बेड़ियों यानी जंजीरों में कैद है. यह भारत में हनुमान के भक्तों के लिए एक बड़ा ही अनूठा दृश्य को दर्शाता है.
बेड़ियों में कैद होने के बावजूद भी भगवान हनुमान यहां पुरी शहर के रक्षक के तौर पर विराजमान हैं और सालों से यह कर्तव्य निभाते हुए आ रहे हैं.
मान्यता के अनुसार जब भी समुद्र देवता भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आते थे, तब पुरी के आस-पास के गांव पूरी तरह से पानी में डूब जाते थे और जिसकी वजह से लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ता था.
भक्तों की परेशानी सुनकर, भगवान जगन्नाथ ने समुद्र देवता को पुरी में प्रवेश करने से रोकने के लिए हनुमान जी को समुद्र तट के किनारे तैनात रहने का सख्त आदेश दिया
हनुमान जी कुछ समय तक अपना कर्तव्य निभाते रहे, लेकिन जब भी उन्हें राम नाम का भजन-कीर्तन सुनाई देता था, तो वे समंदर तट छोड़कर उसमें शामिल होने चले जाते थे.
ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को लोहे की बेड़ियों से बांध दिया ताकि वे राम नाम कीर्तन सुनने के बाद भी अपनी जगह छोड़कर कहीं जा न सकें.
मंदिर में हनुमान जी की भव्य प्रतिमा के दाहिने हाथ में गदा और बाएं हाथ में लड्डू है, भक्त यहां बिना किसी भय से मुक्ति की मनोकामना लेकर आते हैं.
मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी ईस्वी में सूर्यवंशी गजपति राजाओं ने कराया था, इसकी दीवारों पर पारंपरिक उड़िया शैली की वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है.