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आज के टीनएजर्स इमोशनली मैच्योर लेकिन दिमागी तौर पर थके हुए क्यों होते हैं?

आज के टीनएजर्स इमोशनली मैच्योर लेकिन दिमागी तौर पर थके हुए क्यों होते हैं?

लगातार बदलते रहने वाली दुनिया में अच्छा परफॉर्म करने, कनेक्टेड रहने और सुरक्षित रहने का दबाव टीनएजर को मानसिक रूप से थका देता है.

आज के युवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और दुनिया की घटनाओं पर होने वाली चर्चाओं के ज़रिए कम उम्र से ही बड़ी-बड़ी बातों से घिरे रहते हैं.

आज का एजुकेशन सिस्टम लगातार असेसमेंट और टेस्टिंग, रैंकिंग, और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ से भरा है जिसकी वजह से युवाओं को मानसिक रूप से परेशानी होती है.

सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने किशोरों को दूसरों की ज़िंदगी में देखने वाला और हिस्सा लेने वाला बना दिया है.

आज की पीढ़ी के किशोरों को अपनी भावनाओं, व्यवहारों और ट्रिगर्स को समझने की सीख दी जाती है.

दरअसल, आज के युवा भविष्य की अनिश्चितता का बोझ उठाते हैं.

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