Skywatch 2025: आसमान में दौड़ता कॉमेट बना चर्चा का विषय, जानें कब होगा सबसे पास
आसमान में चमकते धूमकेतु यानी कॉमेट इंसानों को हमेशा से आकर्षित करते आए हैं। जब ये धरती के पास आते हैं तो उनकी लंबी पूंछ और रहस्यमयी चमक लोगों को रोमांचित कर देती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कॉमेट से जुड़े खबर के बारे में और साथ ही उनका धरती से संबंध और इन्हें देखने का सही तरीका।
कॉमेट क्या होते हैं?
कॉमेट यानी धूमकेतु मूल रूप से बर्फ, गैस, धूल और छोटे पत्थरों से बने होते हैं। इन्हें अक्सर "गंदे हिमगोले" कहा जाता है। जब कॉमेट सूरज से दूर होते हैं, तब वे साधारण पिंड लगते हैं।
कॉमेट धरती के कितने करीब आते हैं?
अधिकांश कॉमेट धरती से लाखों किलोमीटर दूर से ही गुजरते हैं। फिर भी जब कोई कॉमेट धरती के अपेक्षाकृत नजदीक आता है तो उसे "Near-Earth Comet" कहा जाता है।
आने वाले सालों में कॉमेट कब दिखेंगे?
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि 2025 से 2030 के बीच कई प्रमुख कॉमेट धरती के करीब से गुजरेंगे। इनमें से कुछ इतने चमकीले होंगे कि सुबह-सुबह या रात को नंगी आंखों से दिखाई देंगे।
क्या कॉमेट धरती से टकरा सकते हैं?
बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या कॉमेट धरती से टकरा सकते हैं? वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा होने की संभावना बेहद कम है। करोड़ों साल पहले एक बड़े उल्कापिंड की टक्कर ने डायनासोर के युग का अंत कर दिया था, इसी वजह से लोग कॉमेट और ऐस्टरॉइड से डरते हैं।
कॉमेट को कैसे देखा जा सकता है?
कॉमेट देखने के लिए सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के तुरंत बाद का समय सबसे अच्छा होता है। इनकी चमक साफ और अंधेरे आसमान में ज्यादा दिखाई देती है।शहरों में प्रदूषण और बिजली की रोशनी के कारण कॉमेट को देखना मुश्किल होता है। इसलिए गांवों या खुले मैदान में जाकर इन्हें देखना अधिक आसान होता
कॉमेट और प्राचीन मान्यताएं
प्राचीन काल में कॉमेट को बुरा शगुन माना जाता था। भारत, चीन और यूरोप में यह मान्यता थी कि जब कॉमेट आते हैं, तो युद्ध, अकाल या बीमारियां फैलती हैं। राजाओं के दरबार में इन्हें संकट का संकेत समझा जाता था।
Disclaimer
प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.