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Indian Currency Cost: भारतीय नोटों की प्रिंटिंग में कितना आता है खर्च, कौन से नोट होते हैं सबसे महंगे? यहां जानें सारे जवाब

Indian Currency Printing Cost: भारतीय करेंसी की प्रिंटिंग को लेकर आम धारणा है कि इसे छापना काफी महंगा होता होगा, लेकिन वास्तविकता इससे काफी अलग है. आरबीआई ऐसे नोट जारी करता है जिनमें एडवांस्ड सिक्योरिटी फीचर्स शामिल होते हैं, फिर भी किसी भी नोट की प्रिंटिंग लागत उसकी फेस वैल्यू का बहुत छोटा हिस्सा ही होती है.


By: Hasnain Alam | Last Updated: December 12, 2025 2:31:14 PM IST

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भारतीय करेंसी की प्रिंटिंग में कितना खर्च आता है?

आरबीआई द्वारा तय प्रोडक्शन कॉस्ट के मुताबिक, ₹10 का नोट छापने में ₹0.96, ₹20 के नोट में ₹0.95, ₹50 के नोट में ₹1.13, ₹100 के नोट में ₹1.77, ₹200 के नोट में ₹2.37 और ₹500 के नोट को छापने में सिर्फ ₹2.29 खर्च होते हैं. यानी नोट की वास्तविक कीमत उसकी छपाई लागत से कई गुना अधिक होती है. उदाहरण के तौर पर ₹500 का नोट अपनी लागत की तुलना में करीब 218 गुना अधिक फेस वैल्यू देता है, यही कारण है कि यह सबसे ज्यादा लागत-कुशल नोट माना जाता है.

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भारत में नोटों के निर्माण की लागत कम

भारत में नोटों के निर्माण की लागत कम होने की एक प्रमुख वजह यह है कि अधिकतर कच्चा माल—जैसे करेंसी पेपर और सिक्योरिटी इंक—देश में ही तैयार किया जाता है. इसके अलावा बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण प्रति नोट लागत और भी कम हो जाती है.

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इन नोटों में आता है ज्यादा खर्च

हालांकि उन्नत सिक्योरिटी फीचर्स—जैसे रंग बदलने वाली थ्रेड, वाटरमार्क, माइक्रो प्रिंटिंग, सिक्योरिटी फाइबर और टैक्टाइल मार्क—प्रिंटिंग लागत बढ़ाते हैं, लेकिन यह लागत उच्च मूल्य वर्ग के नोटों में ही ज्यादा दिखती है. इसलिए ₹100, ₹200 और ₹500 जैसे नोटों का प्रोडक्शन बजट अपेक्षाकृत अधिक होता है.

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ये नोट जल्दी हो जाते हैं खराब

कम मूल्य वाले नोट—जैसे ₹10 और ₹20—तेज़ी से सर्कुलेट होते हैं और जल्दी खराब हो जाते हैं. इन्हें बार-बार बदलना पड़ता है, जिससे लंबी अवधि में लागत बढ़ जाती है. इसके विपरीत, उच्च मूल्य वाले नोट अधिक समय तक चलते हैं, जिसके कारण उन्हें बार-बार बदलने की आवश्यकता नहीं होती.

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इन कारकों पर निर्भर करती है नोट की प्रिंटिंग लागत

ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि नोट की प्रिंटिंग लागत का उसकी असली आर्थिक वैल्यू से कोई संबंध नहीं होता. रुपए की वैल्यू महंगाई दर, जीडीपी की मजबूती, मौद्रिक नीति और राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा भंडार जैसे बड़े आर्थिक कारकों पर निर्भर करती है, न कि नोट छापने की लागत पर.

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देश में इन जगहों पर होती है नोटों की छपाई

भारत में नोट की छपाई मुख्य रूप से चार प्रिंटिंग प्रेस में होती है - नासिक (महाराष्ट्र), देवास (मध्य प्रदेश), मैसूर (कर्नाटक), और सालबोनी (पश्चिम बंगाल); इनमें से, नासिक और देवास प्रेस भारत सरकार के तहत काम करते हैं, जबकि मैसूर और सालबोनी प्रेस भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक सब्सिडियरी के तहत काम करते हैं.