Aja Ekadashi 2025: अगस्त में कब है अजा एकादशी? तिथि, पूजा विधि और व्रत के फायदे जानें
Aja Ekadashi 2025: अजा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पावन मानी जाती है। इसे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सारे पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 2025 में अजा एकादशी अगस्त महीने में आएगी, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि तक रहेगा, आइए जानतें हैं इसके बारें में।
अजा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
अजा एकादशी 2025 में 18 अगस्त को शाम 5.22 पर शुरू होगी और अगले दिन 19 अगस्त 2025 को दोपहर 3.32 पर इसका समापन होगा व व्रत 19 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।हिंदू पंचांग के अनुसार यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे सबसे पवित्र एकादशियों में से एक माना जाता है।
अजा एकादशी का धार्मिक महत्व
अजा एकादशी का महत्व केवल हिंदू धर्म में है, मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे 'पापमुक्ति एकादशी' भी कहा जाता है।
अजा एकादशी की पौराणिक कथा
अजा एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा महाभारत और पद्म पुराण में मिलती है। राजा हरिशचंद्र, जो अपनी सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध थे, एक समय कठिन परिस्थितियों में घिर गए। अपने वचनों को निभाने के लिए उन्होंने राज्य, परिवार और यहाँ तक कि स्वयं को भी दासत्व में बेच दिया। एक दिन उन्हें ऋषि गौतम ने अजा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने नियमपूर्वक व्रत किया और पूजा-अर्चना की। इसके परिणामस्वरूप उनका सारा दुख दूर हो गया, मृत पुत्र जीवित हो गया और उन्हें अपना राज्य वापस मिला।
अजा एकादशी व्रत के नियम
अजा एकादशी का व्रत रखने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है। व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात से सात्विक भोजन ग्रहण कर और ब्रह्मचर्य का पालन करके करनी चाहिए। एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर, व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
अजा एकादशी पूजा विधि
अजा एकादशी की पूजा विधि सरल होने के बावजूद अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र पहनें। पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें। भगवान को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और पंचामृत अर्पित करें। 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। भोग में फल, मखाना, गुड़, दूध और सूखे मेवे अर्पित करें।
अजा एकादशी व्रत के आध्यात्मिक लाभ
अजा एकादशी का व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का एक साधन है। यह व्रत मन और आत्मा को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त करता है और साधक में सकारात्मक विचारों का संचार करता है। नियमित रूप से एकादशी का पालन करने से ध्यान, एकाग्रता और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
Disclaimer
प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है