July 27, 2024
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जोशीमठ ही नहीं टिहरी में भी आई दरारें, इन पांच ज़िलों में दहशत

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : January 11, 2023, 8:28 pm IST

चमोली : अब ना सिर्फ उत्तराखंड का जोशीमठ बल्कि उसके आस पास के भी कई इलाके भू-धंसाव की चपेट में आ गए हैं. गौरतलब है कि इस पवित्र शहर में 678 इमारतों को असुरक्षित घोषित किया गया है. जोशीमठ के 82 परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है. दूसरी ओर सरकार और प्रशासन के प्रति स्थानीय लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है और वह धरने प्रदर्शन पर उतर आए हैं. हालांकि जोशीमठ इस समय अकेला नहीं है जहां दरारें देखी जा रही हैं. उत्तराखंड में इसी तरह की और भी आपदाएं पौड़ी, बागेश्वर, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग को घेरे हुए हैं. यहां के स्थानीय लोगों में भी जोशीमठ की ही तरह डर बना हुआ है.

टिहरी गढ़वाल: ब्लास्टिंग से हिलने लगते हैं घर

टिहरी जिले के नरेंद्रनगर के अटाली गांव से होकर गुजरने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. अटाली के एक छोर पर भारी लैंडस्लाइड है जिससे कई घरों में दरारें आ चुकी हैं. गांव के दूसरे छोर पर सुरंग में ब्लास्टिंग की वजह से घर हिलने लगते हैं.

पौड़ी: घरों में दिखाई देने लगी हैं दरारें

रेलवे प्रोजेक्ट की वजह से स्थानीय लोगों के भी घरों में दरारें आ गई हैं. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के सुरंग निर्माण कार्य ने भी काफी मुश्किलें पैदा कर दी है. जहां श्रीनगर के हेदल मोहल्ला, आशीष विहार और नर्सरी रोड समेत अन्य घरों में दरारें दिखाई देने लगी हैं. इन दरारों ने स्थानीय लोगों की टेंशन बढ़ा दी है.

 

बागेश्वर गांव में पानी का रिसाव

इतना ही नहीं आसपास बेस बागेश्वर के कपकोट के खरबगड़ गांव पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है. इस गांव के ठीक ऊपर जलविद्युत परियोजना की सुरंग बनी है. इससे पहाड़ी में गड्ढा बन गया है. इससे जगह-जगह से पानी का रिसाव हो रहा है. इससे स्थानीय लोग दहशत में है. बता दें, बीते दिनों कपकोट से भूस्खलन की भी खबर सामने आई थी.

उत्तरकाशी का गांव भी आया चपेट में

उत्तरकाशी के मस्तदी और भटवाड़ी गांव को भी खतरे के निशान में रखा गया है. मस्तड़ी के ग्रामीणों में जोशीमठ की घटना से दहशत का माहौल है. यहां 1991 में आए भूकंप के कारण यहां पहले से ही कई इमारतों में दरारें पड़ी हुई हैं. इस समय पूरा उत्तरकाशी जिला प्राकृतिक आपदा झेल रहा है. जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर गांव धीरे-धीरे डूब रहे हैं. घरों में दरारें अभी से नजर आने लगी हैं जो 1991 में आए भूकंप के बाद मस्तदी लैंडस्लाइड की चपेट में आने की कहानी बताती हैं. साल 1995 और 1996 से ही घरों से पानी निकलने लगा था. अधिकारियों का कहना है कि मस्तदी गांव का दोबारा जियोलॉजिकल सर्वे किया जाएगा। इसके बाद स्थानीय लोगों के पुनर्वास की योजना शुरू की जाएगी.

 

रुद्रप्रयाग: कई घर धराशायी हुए

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण को लेकर रुद्रप्रयाग का मरोदा गांव भी खामियाजा भुगत रहा है. गांव में सुरंग निर्माण के कारण पहले ही कई घर धराशायी हो गए हैं. कई घर नष्ट होने के कगार पर हैं जिनके परिवार को अब तक मुआवजा भी नहीं मिला है. यह परिवार आज भी जर्जर मकानों में रह रहे हैं. यदि जल्द ही कोई एक्शन नहीं लिया गया तो बड़ा हादसा हो सकता है. बता दें, इस जगह कभी 40 परिवार रहा करते थे जिनकी संख्या आज के समय में केवल 20 रह गई है.

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