कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने आज अहम बात कही है। अदालत ने कहा कि, “तमाम लड़कों को सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की व औरत को उसकी मर्ज़ी के बग़ैर नहीं छूना है। लड़कों को यह बुनियादी बात स्कूल और परिवारों के ज़रिए दी जानी चाहिए। अदालत ने समाज में लड़कियों के साथ बढ़ती हिंसा व बदसलूकी का ज़िक्र करते हुए कहा कि, सदाचार और तमीज़ बुनियादी तौर से ही सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए।
अदालत ने कहा कि, लड़कों को इस बात को समझना चाहिए कि ‘‘नहीं’’ का मतलब सिर्फ़ ‘‘नहीं’’ होता है। अदालत ने समाज के लोगों से गुज़ारिश की कि वो लड़कों को अच्छी तरबियत दें और उन्हें एक नेक इंसान बनाना सिखाए। अदालत ने यह बात एक लड़की के उत्पीड़न की अर्ज़ी पर ग़ौर करते हुए कहा था। अदालत ने कहा कि, ” एक लड़की की इज्जत करना पुराने जमाने का रुख नहीं है बल्कि यह हमेशा बरकरार रहने वाला सलीका है। लड़कों को पता होना चाहिए कि किसी भी लड़की को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ नहीं छूना है।
आपको बता दें, बीते दिनों भी केरल से लड़कियों के लिए अहम फ़ैसला सामने आया था। केरल की कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Cochin University of Science and Technology) ने इस यूनिवर्सिटी की लकड़ियों को महावारी व हैज़ के दौरान अलग से छुट्टी हासिल करने का फ़ैसला किया था। दरअसल फीमेल स्टूडेंट्स को हाज़िरी की दिक्क्त का सामना नहीं करना पड़ेगा, ऐसा इसलिए क्योंकि माहवारी व हैज़ के दिनों में लड़कियां या तो दर्द में भी काम पर आ जाती थी या फिर छुट्टी ले लेती थी. इस वजह से उनकी हाज़िरी कम हो जाती थी. हाज़िरी में कमी आने के चलते किशोरियों के सेमेस्टर परीक्षाओं व इम्तिहान में रुकावट आती है.
आपको बता दें, अब इस यूनिवर्सिटी की लड़कियाँ “माहवारी लाभ” (Menstruation Benefit) के तहत हर सेमेस्टर में करीब 2% छूट हासिल कर सकती है. आसान से शब्दों में बता दें, हर सेमेस्टर में 75% हाज़िरी दर्ज होना ज़रूरी होता है. लेकिन इस फैसले के बाद से अब यह लिमिट 73% हो गई है. ऐसे में अगर वो तमाम किशोरियां जो माहवारी व हैज़ के दिनों में यूनिवर्सिटी नहीं जाती है, तो उसकी हाज़िरी कम नहीं होगी।