July 27, 2024
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9 वर्षीय बच्चे ने तोड़ी गुल्लक, Turkey Earthquake के लिए दान किए पैसे

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : February 8, 2023, 11:32 am IST

नई दिल्ली: तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप से इस समय करोड़ों की आबादी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. अब तक 8000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. WHO के अनुसार आने वाले समय में ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है जहाँ मरने वालों की संख्या 20 हजार तक जाने की आशंका है. इस तबाही से दुनिया भर के लोग दुखी हैं. जहां विश्व के कई देश मदद के लिए आगे भी आए हैं. बता दें, आपदा की वजह से पूरा देश मलबे के पहाड़ में तब्दील हो गया है और प्रभावित प्रांतों में अगले तीन महीने के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी गई है.

हो जाएंगे इस मासूम के मुरीद

सभी देश और आम लोग अपनी क्षमता के अनुसार तुर्की की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में तुर्की के ही 9 साल के बच्चे ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिससे उसकी चर्चा होने लगी है. दरअसल पिछले साल भी तुर्की में भूकंप की मार पड़ी थी. इस दौरान यह बच्चा बाल-बाल बच गया था. 9 वर्षीय बच्चा अपनी गुल्लक में पिछले एक साल से भूकंप पीड़ितों को मदद पहुंचाने के लिए पैसे जुटा रहा था. अब बच्चे ने इन पैसों को भूकंप से प्रभावित लोगों के लिए दान कर दिया है. इस गुल्लक के पैसों से भले ही भूकंप पीड़ितों को कोई बड़ी मदद ना मिली हो लेकिन बच्चे की दरियादिली इस समय हर किसी को उसका मुरीद बना रही है.

तंबू में रहता है बच्चा

इस बच्चे का नाम अल्परसलान एफे डेमिर है. पिछले साल तुर्की के उत्तर-पश्चिमी डुज़से (Duzce)प्रांत में आए 5.9 तीव्रता के भूकंप के बाद वह तंबू में रहने पर मजबूर है. तंबू में रहने वाले अल्परसलान को टीवी से सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप के बारे में पता चला. खबर को देखने के बाद उसका दिल टूट गया तब उसने फैसला किया कि वह अपने सभी पैसों को भूकंप पीड़ितों के लिए दान करेगा. इसके बाद अल्परसलान ने अपनी माँ के तुर्की रेड क्रीसेंट की ड्यूज शाखा पहुंचकर गुल्लक के पैसे दान किए.

लिखा भावुक पत्र

इतना ही नहीं अल्परसलान ने भूकंप में बचे लोगों के लिए एक पत्र भी लिखा है. मासूम के इस पत्र में लिखा है कि “जब डुज़से में भूकंप आया था तो मैं बहुत डर गया था. मैंने सुना कि कई शहरों में भूकंप आया है तो मुझे फिर वही डर लगा. इसलिए मैंने अपने बड़ों द्वारा दिए गए पॉकिट मनी को पीड़ित बच्चों को भेजने का फैसला किया. अगर मैं चॉकलेट नहीं खाऊंगा तो कोई बात नहीं लेकिन मैं चाहता हूं कि उन बच्चों को ठंड या भूख नहीं झेलनी पड़े. मैं वहां बच्चों को अपने कपड़े और खिलौने भी भेजूंगा.’

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