July 27, 2024
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Anti-Incumbency के दावों के बीच गुजरात में बहुमत की ओर तेज़ी से बढ़ती भाजपा

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : November 23, 2022, 9:59 pm IST

अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा 2022 चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों पार्टियां मज़बूती के साथ चुनावी ताल ठोक चुकी हैं, इस बार का चुनाव पिछली विधानससभा चुनाव से थोड़ा अलग होने की संभावना जताई जा रही है जिसकी सबसे बड़ी वजह आम आदमी पार्टी का गुजरात की सियासत में दख़ल है।

दो दशकों से काबिज है BJP

अरविंद केजरीवाल ने साल की शुरुआत में ही पंजाब जैसे सूबे से कांग्रेस के पैर उखाड़ दिए और एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की, इन्हीं सब मुद्दों के मद्देनज़र आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। “आप” का मत है कि भाजपा दो दशकों से भी ज़्यादा गुजरात की सत्ता पर काबिज़ है और ऐसे हालात में जनता के बीच अगर किसी भी क़िस्म की Anti Incumbency है तो उसका फ़ायदा उठाया जाए। जनता के बीच असंतोष किसी भी क़िस्म का हो मगर बीते 27 सालों से गुजरात पारंपरिक रुप से भाजपा को सूबे की सियासत के लिए अनुकूल मानता है।

पीएम मोदी का दखल

भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल्ली जाने के बाद राज्य की बागडोर विजय रुपाणी, आनंदीबेन पटेल और वर्तमान समय में भूपेंद्रभाई पटेल को सौंप रखी है, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसे एक मौके की तरह देख रहे हैं, उनका मानना है की मोदी के बग़ौर गुजरात की सियासत में एक तरह का खालीपन पैदा हुआ है और भआजपा का कोई भी और नेता इसे कमी को पूरा नहीं कर सकता। अगर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात चुनाव की सक्रीयता को देखें तो पाऐंगे कि देश की हुकूमत के साथ-साथ नरेंद्र मोदी गुजरात की राजनीति में अब भी वैसा ही दख़ल रखते हैं जैसे वो 2014 से पहले रखते थे।

विकल्पों को तलाशना

गुजरात में मुख्यमंत्री के लिए नए विकल्पों को तलाशना महज़ पार्टी के प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है, इससे ये बात भी साफ़ हो जाती है कि भाजपा किसी भी राज्य में सिर्फ़ एक चेहरे की बदौलत राजनीति नहीं करती, उसके पास हर स्थिति के हिसाब से पार्टी और सरकार दोनों में काम करने वाले लोगों की लंबी फ़ेहरिस्त है।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों के चुनावी दांवपेंचों के बावजूद सभी exit polls में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल रहा है। अगर भाजपा इसबार भी गुजरात में सरकार बनाने में कामयाब होती है तो ये सातवीं बार होगा और बाकी दलों के लिए एक सीख भी होगी कि भाजपा अपनी सबसे बड़ी कमज़ोरी को अपनी ताकत में तब्दील करने में माहिर है।

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