July 27, 2024
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नई दिल्ली : जूनागढ़ की 5 विधानसभा सीटों में से एक सीट माणावदर में क्या है ख़ास?

  • WRITTEN BY: Hasin Ahmed
  • LAST UPDATED : December 8, 2022, 6:25 pm IST

नई दिल्ली : गुजरात में कुल 182 विधानसभा सीटें हैं और इसके अंतर्गत जूनागढ़ ज़िले में 5 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से एक सीट है माणावदर सीट। इस सीट से जवाहर पैथलजी चावड़ा विधायक हैं।

माणावदर सीट के जातीय समीकरण

इस सीट पर किसान सबसे ज़्यादा संख्या में हैं, अगर बात की जाए पाटीदार समुदाय की तो यहां 40 फ़ीसदी मतदाता पाटीदार समुदाय से ही आते हैं और बाकी की जातियां जैसे कि आहिर,मेर और दलितों की संख्या अगर जोड़ दी जाए तो ये भी 40 प्रतिशत है। इस सीट पर लंबे समय से भाजपा के रतिभाई सुरेजा का ही कब्ज़ा रहा है।

1962 के बाद के माणावदर विधानसभा चुनावों के आकलन

1962 के बाद के चुनावों का आंकलन करें तो हमें पता चलता है की यहां से 3 बार बाजपा और 3 बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीत चुके हैं। कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 2017 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जवाहर चावड़ा ने साल 2018 में भाजपा का दामन थाम लिया, जिसकी वजह से 2019 में फिर चुनाव हुए और चावड़ा दोबारा जीत कर आए।

माणावदर विधानसभा विधानसभा की क्षेत्रीय परेशानियां

माणावदर विधानसभा के सामने कई परेशानियां हैं जिसमें सबसे बड़ी परेशानी पानी की किल्लत है। इस इलाके में 4 दिनों में एक बार पानी मिल पाता है, हालाकि यहां बारिश अच्छी होती है मगर फिर भी पानी की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। पुराने दौर में माणावदर अपने रुई के उत्पादन के लिए जाना जाता था लेकिन बाद के दिनों में लोगों ने बड़े शहरों का रुख़ करना शुरु कर दिया और यहां के कारखाने अपना वजूद खोते चले गए।

कांग्रेस पार्टी से अरविंदभाई जिनाभाई लडानी

कांग्रेस पार्टी के लिए माणावदर विधानसभा की सीट नाक का सवाल बन चुकी है, जिसकी सबसे बड़ी वजह जवाहर चावड़ा का 2018 में पार्टी से बगावत करना था। जवाहर चावड़ा और उनके पिता पुराने कांग्रेसी थे लेकिन जब उन्होंने भाजपा का दामन थामा तो कांग्रेस को ये नागवार गुज़रा, लिहाज़ा इस बार उन्होंने 60 वर्षीय अरविंदभाई जिनाभाई लडानी को माणावदर सीट पर भाजपा के ख़िलाफ़ उतारा है। पेशे से वो किसान हैं और  उनकी शिक्षा 12वीं तक हुई है और संपत्ति के मामले में उनके पास 96 लाख से ज़्यादा की संपत्ति है।

आम आदमी पार्टी से करशन परबत भडारका

46 वर्षीय करशन परबत भडारका के पास शिक्षा के लिहाज़ से परास्नातक की उपाधि है, पेशे से वो एक किसान हैं। आम आदमी पार्टी की उन्हें टिकट देने की सबसे बड़ी वजह उनकी साफ़-सुथरी छवि होना है, उनके ऊपर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे में इन्होंने अपने पास 53 लाख 30 हज़ार की संपत्ति बताई है।

भाजपा से जवाहर चावड़ा

जवाहर चावड़ा जूनागढ़ के नामी व्यवसायी पैथलजी चावड़ा के बेटे हैं, उनके पिता और वो कांग्रेस के साथ ही जुड़े रहे लेकिन साल 2018 में कांग्रेस का बरसों पुराना साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और अगले ही दिन गुजरात सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया, हालाकि इसके बाद उन्हें अपने कार्यकर्ताओं का आक्रोश भी झेलना पड़ा।

जवाहर चावड़ा पर चल रहे आपराधिक मामले

जवाहर चावड़ा पर तीन आपराधिक मामले चल रहे हैं और 2019 के अपने हलफ़नामे में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 103 से भी ज़्यादा बताई थी। भाजपा के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने रिवर फ़्रंट प्रोजेक्ट पर काम किया है।

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