July 27, 2024
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Opposition Meeting: सरकार बनाकर नीतीश की होगी नैया पार, क्या आएगा पवार-उद्धव-ममता-केजरीवाल के हाथ?

  • WRITTEN BY: Riya Kumari
  • LAST UPDATED : June 23, 2023, 7:19 am IST

नई दिल्ली: बिहार की राजधानी पटना में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार की अगुआई में आज यानी शुक्रवार (23 जून) को विपक्षी पार्टियों का महामिलन होने जा रहा है. RJD नेता तेजस्वी यादव के अनुसार इस दौरान 15 से अधिक दल जुटेंगे. जिसमें कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खरगे, आप से अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान, तृणमूल कांग्रेस से ममता बनर्जी, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, सपा से अखिलेश यादव, झामुमो से हेमंत सोरेन, डीएमके से एम के स्टालिन समेत महाराष्ट्र से शरद पवार और उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे. सबका एक ही लक्ष्य है अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना.

कांग्रेस बनाम क्षेत्रीय दल की लड़ाई

हालांकि विपक्षी दलों के बीच भी आपसी खटपट रही है जहां ममता कांग्रेस को पसंद नहीं करती वहीं KCR और कांग्रेस के बीच आपसी खटपट है. दो दिनों पहले ही भाजपा के साथ-साथ केजरीवाल कांग्रेस को भी दो-चार सुना चुके हैं. लेकिन – ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है’ वाली फिलॉसॉफी के बाद सभी एक साथ दिखाई दे रहे हैं. विपक्षी दलों के सामने भी पीएम चेहरे को लेकर बड़ी चुनौती होगी क्योंकि भाजपा के सामने टिकने के लिए उन्हें किसी बड़े पीएम चेहरे को मैदान में उतारना होगा जिसके नाम पर सभी विपक्षी दलों में आपसी सहमति बने.

 

किसे क्या मिलेगा पर सवाल

विपक्षी जुटान में सिर खपा चुके नीतीश कुमार से शरद पवार पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की कल्पना नहीं की जा सकती है. पवार की इसी राजनीति को फिक्स करने के लिए नीतीश कुमार पहले 10 सवाल करेंगे जिसके बाद वह अपने हाथों में नेतृत्व लेंगे. बता दें, विपक्षी दलों की बैठक पहले 12 जून को थी लेकिन इसे 23 जून को फिक्स कर दिया गया. ठोक-पीटकर नीतीश कुमार इस मुहीम को आगे बढ़ा रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं नीतीश कुमार भी ये जानते हैं कि उनकी मुहीम सफल हुई तो उन्हें केंद्र सरकार में बड़ा रोल मिलेगा. दूसरी ओर कांग्रेस भी जानती है कि उसके बिना विपक्ष का काम नहीं चलेगा. इस बीच पवार और ठाकरे के हाथों क्या आएगा इसपर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

पवार-उद्धव-ममता-केजरीवाल का ये है लक्ष्य?

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अखिलेश यादव के लिए बड़ी मुश्किल बन गई है जिसे सत्ता में आने के लिए केवल विपक्षी एकजुटता ही विकल्प दिखाई देती है. बात करें RJD की तो यदि नीतीश कुमार दिल्ली गए तो तेजस्वी का तेज बिहार में दिखेगा. हालांकि इस दौरान पवार-उद्धव-ममता-केजरीवाल-सोरेन नीतीश के बुलावे पर पटना क्यों आ रहे हैं इसका जवाब इतना ही मिलता है कि ये सभी क्षेत्रीय दल इस समय बीजेपी की मार से लाचार हैं. पिछले दिनों सभी पार्टियों पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की जिस तरह से कार्रवाई हुई उसके बाद इन की हालत पस्त है. इसके अलावा सभी पार्टियों में भाजपा के रहते टूट का खतरा बरकरार रहता है. इन सभी दिक्क्तों से निजात पाने के लिए क्षेत्रीय दलों ने एकजुटता का रास्ता चुना है.

 

नंबर का है खेल सारा

अब सारा खेल नंबर गेम का है जहां यदि ममता सरकार के पाले में बड़ी जीत आती है तो वह अलग हो सकती हैं. दूसरी ओर सीएम केजरीवाल भी इतने समझदार हैं ही कि वह दिल्ली-पंजाब जैसे छोटे स्टेट को बीजेपी की जकड़ से बचा लें. हालांकि ये दोनों राज्य छोटे हैं और केजरीवाल जानते हैं कि पूरा खेल नंबर गेम का है. फिलहाल ठाकरे को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि बीजेपी ने उनकी पार्टी तोड़कर महाराष्ट्र की पूर्व सरकार की आग को ठंडा कर दिया है.

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