July 27, 2024
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Basant Panchami 2024: जानें कब है बसंत पंचमी, नोट कर लें सरस्वती पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

  • WRITTEN BY: Shiwani Mishra
  • LAST UPDATED : January 30, 2024, 8:18 am IST

नई दिल्ली: पंचांग के मुताबिक बसंत पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. ये त्योहार मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है. बता दें कि इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, और मान्यता है कि बसंत पंचमीके दिन मां सरस्वती सफेद कमल के फूल पर बैठकर हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही बसंत पंचमी वसंत ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है, और शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा से देवी लक्ष्मी और मां काली भी प्रसन्न होती हैं. तो आइए जानते हैं की साल 2024 में सरस्वती पूजा यानी बसंत पंचमी की तिथि, पूजा का मुहूर्त और संपूर्ण पूजन विधि क्या है…

वसंत पंचमी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्तBasant Panchami 2024: बसंत पंचमी कब है 13 या 14 फरवरी, जानें किस मुहूर्त  में करें मां सरस्वती की पूजा अर्चना | Basant Panchami 2024 Me Kab Hai Puja  Vidhi Shubh Muhurat and Katha | TV9 ...

पंचांग के मुताबिक माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक है, और अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन हो जायेगा. दरअसल उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जा रहा है. बता दें कि 14 फरवरी को बसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक होगा, और ऐसे में इस दिन पूजा के लिए आपके पास सिर्फ 5 घंटे 35 मिनट तक का ही समय होगा.

संपूर्ण पूजन विधि

1. बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि करके , पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें, उसके बाद माँ सरस्वती पूजा का संकल्प लें.
2. पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति और तस्वीर स्थापित करें, मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं, और फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं .
3. इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन और पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें .
4. इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला जरूर पहनाएं, इसके बाद पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं .
5. इस दिन सरस्वती वंदना और मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें .
6. आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का भी पाठ कर सकते हैं .
7. आखिरी में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें .
8. फिर आखिरी में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती जरूर करें.

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