नई दिल्ली. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर को लेकर दो टूक बात की है, उन्होंने कहा है कि एक साल से मणिपुर शांति की बाट देख रहा है. मणिपुर सुलगा या सुलगाया गया इस पर बात की जा सकती है लेकिन जरूरत इस बात की है कि जमीनी हकीकत को समझा जाए और उसी के अनुरुप कदम उठाये जाएं. सिर्फ सरकारें ही नहीं समाज की भी जिम्मेदारी बनती है. सबको खुद पर संयम रखना होगा.
सुलग रहा मणिपुर
मोहन भागवत आरएसएस के कार्यक्रम में बोल रहे थे. मणिपुर पिछले एक साल से सुलग रहा है, चंद रोज पहले वहां फिर हिंसा हुई है. यहां की स्थिति को लेकर विपक्ष काफी हमलावर रहा है और अब मोहन भागवत ने वहां कि स्थिति पर चिंता जता दी है.
आरएसएस को विवाद में घसीटा
आरएसएस प्रमुख ने चुनाव परिणाम पर भी चर्चा की और कहा कि लोगों ने अपना फैसला सुना दिया है और एनडीए सरकार फिर से बन गई है. लोकतंत्र के अपने नियम है और वह उसी से चलता है, जनता ने अपना फैसला सुना दिया है लिहाजा उस पर टीका टिप्पणी उचित नहीं. संघ इसमें नहीं पड़ता है. वह परिश्रम करता है, सेवा करता है और मर्यादा में रहता है.
संसद सहमति के लिए होती है लेकिन प्रतस्पर्धा की वजह से दिक्कत होती है. चुनाव में संघ जैसे संगठन को घसीटा गया. न जानें कैसी कैसी बातें की गई, तकनीक का सहारा लेकर उसे बदनाम करने की कोशिश की गई. विद्या का इस्तेमाल प्रबोधन के लिए होनी चाहिए न कि निहित स्वार्थों के लिए.
चुनौतियां बड़ी हैं
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पिछले 10 साल में काफी काम हुए हैं लेकिन अभी बहुत कुछ करना है. वैश्विक स्तर पर भारत की नई पहचान बनी है. विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं लेकिन इसका ये कत्तई मतलब नहीं कि चुनौतियों से मुक्त हो गये हैं. चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी है और उसका सामना करना होगा.