मुंबई। राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है। देश की लगभग सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियों ने उम्मीदवारों के समर्थन को लेकर अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। इसी बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी अपने पत्ते खोल दिए। उन्होंने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि उन्होंने ये फैसला अपने सांसदों के दबाव में लिया है।
बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया था। इसके बाद अब उद्धव गुट की ओर से भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवसेना ने कभी भी राजनीति नहीं की है। शिवसेना पक्ष प्रमुख ने आगे कहा कि वैसे तो उन्हें एनडीए का विरोध करना चाहिए था, लेकिन वो इतने भी छोटे मन के नहीं है। खबरों की माने तो शिवसेना सांसदों को शिंदे गुट में जाने से रोकने के लिए उद्धव ने ये कदम उठाया है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस पार्टी की ओर प्रतिक्रिया सामने आ गई है। महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने कहा है कि शिवसेना एक अलग राजनीतिक दल है और उसे अपने फैसले लेने का अधिकार है। लेकिन उन्होंने आगे ये भी कहा कि जब एक गैर लोकतांत्रिक रास्ता अपनाकर एक राज्य सरकार को उखाड़ फेंका गया, उस समय ऐसा फैसला लेना समझ के बाहर है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से भी उद्धव के एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के फैसले पर प्रतिक्रिया सामने आ गई है। एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने कहा कि महाविकास अघाड़ी से कोई दूर नहीं जा रहा है। शिवसेना पहले भी राष्ट्रपति चुनाव के समय ऐसे फैसले लेते आई है। ये उनका अपना निर्णय है और इसमे हमारी कोई भूमिका नहीं है। पाटिल ने आगे कहा कि शिवसेना के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने का मतलब ये नहीं है कि वो एनडीए का समर्थन कर रही है।
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