July 27, 2024
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Climate Change Impact: डराने वाली है जलवायु परिवर्तन की ये रिपोर्ट, सदी के अंत तक 3 फीट तक डूब जाएंगे देश के ये शहर!

  • WRITTEN BY: Arpit Shukla
  • LAST UPDATED : December 7, 2023, 9:36 am IST

नई दिल्ली। चक्रवात मिचौंग की वजह से चेन्नई में आई बाढ़ ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के प्रति भारतीय शहरों पर खतरे को उजागर किया है। 4 दिसंबर, 2023 तक 48 घंटों के अंदरर 40 सेमी से अधिक बारिश के साथ चेन्नई में बाढ़ आ गई। लगभग 6 दिनों से पूरा शहर घुटनों भर पानी में डूबा हुआ है। यह स्थिति शहरी भारत के सामने बढ़ते जलवायु संकट का संकेत दे रही है।

डरा रही जलवायु परिवर्तन की रिपोर्ट

पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स की रिसर्च में चेताया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत, भूमध्य रेखा के पास होने के कारण, उच्च अक्षांशों की तुलना में समुद्र स्तर में ज्यादा बढ़ोतरी का अनुभव करेगा। भारत के तटीय नगरों में समुद्र के खारे पानी के घुसने की वजह से एक गंभीर खतरा पैदा हो सकता है और इससे खेती भी प्रभावित होती है। इससे भूजल की गुणवत्ता में गिरावट आती है और संभावित रूप से जलजनित बीमारियां बढ़ती हैं।

दर्जन भर शहर 3 फीट पानी में डूब सकते हैं

2021 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट में भारत के लिए गंभीर चेतावनी दी गई है। इसमें बताया गया है कि सबसे खतरनाक जोखिम कारक समुद्र का बढ़ता हुआ स्तर है, जिससे इस सदी के अंत तक भारत के 12 तटीय शहरों के जलमग्न होने का खतरा है। आईपीसीसी की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मुंबई, चेन्नई, कोच्चि और विशाखापत्तनम समेत एक दर्जन भारतीय शहर सदी के अंत तक करीब तीन फीट पानी में डूब सकते हैं।

बढ़ रहा है समुद्र का स्तर

यह जोखिम केवल अनुमान नहीं हैं। 70 लाख से अधिक तटीय कृषि और मछली पकड़ने वाले परिवार पहले से ही इसका प्रभाव महसूस कर रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि बढ़ते समुद्र स्तर के कारण होने वाले तटीय कटाव से 2050 तक लगभग 1500 वर्ग किलोमीटर भूमि समुद्र में चली जाएगी। यह कटाव मूल्यवान कृषि भूमि को नष्ट कर देता है और तटीय समुदायों के अस्तित्व को खतरे में डाल देता है।

समुद्र से दूर शहरों पर भी पड़ रहा असर

जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ आने का खतरा केवल तटीय शहरों के लिए नहीं है। समुद्र तट से दूर भारत के नगरों में भी इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के शहर मॉनसून की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं।

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