July 27, 2024
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Assembly Election Result 2023: PM मोदी का जादू कैसे चला, इन परिणामों का मतलब क्या है

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना की तस्वीर साफ हो चली है. हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भाजपा ने अप्रत्याशित जीत हासिल की है. एमपी में वह 160 के पार जा रही है जबकि छत्तीसगढ़ में सारे अनुमानों को फेल करते हुए उसने कांग्रेस से न सिर्फ सत्ता छीनी है बल्कि 4 फीसद मत ज्यादा हासिल किया है. वहां पर उसे 53 सीटें मिल रही है.

इसी तरह से राजस्थान में भाजपा को 115 से अधिक सीटें मिल रही है तो कांग्रेस को 70 सीटें. तेलंगाना इकलौता राज्य है जिसने कांग्रेस को संजीवनी दी है और उसने वहां पर बीआरएस से सत्ता छीन ली है, उसे 65 सीटें मिल रही है जबकि बीआरएस को 40 और भाजपा को 8 सीटें. दक्षिणी राज्य के परिणाम से कांग्रेस सुकून महसूस कर सकती है लेकिन 2024 के आम चुनाव से पहले हिंदी भाषी तीन राज्यों ने जो फैसला सुनाया है उसने विपक्ष खासतौर से कांग्रेस को सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर उसका जाति और गारंटी कार्ड क्यों नहीं चला?

नहीं चला गारंटी कार्ड

उम्मीद की जा रही थी कि तीनों राज्यों में कांग्रेस और भाजपा में आमने-सामने का मुकाबला होगा लेकिन ऐसा हो न हो सका. भाजपा उससे बहुत आगे रही. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातीय जनगणना और कर्नाटक की तरह कई गारंटी दी थी लेकिन उनकी गारंटियों पर लोगों ने भरोसा नही किया मोदी गारंटी भारी पड़ी. जहां भी पीएम मोदी गये उन्होंने वायदा पूरा करने की गारंटी दी. राजनीति हो या कोई अन्य क्षेत्र साख बहुत मायने रखती है. लोगों ने मोदी पर भरोसा किया.

महिला वोट निर्णायक

मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पास किया था जिसका विपक्ष ने भी समर्थन किया साथ में आलोचना भी की. न जानें यह कब लागू होगा लेकिन भाजपा और पीएम मोदी समझाने में कामयाब रहे कि वह महिलाओं को उनका हक देने के लिए प्रतिबद्ध है. मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाई वह दांव काम कर गया. इस चुनाव में एक फीसद वोट वहां ज्यादा पड़े और माना जा रहा है कि महिलाओं-युवाओं ने भाजपा का साथ दिया.

सुशासन का असर

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने लोगों को मुफ्त की सौगातें दी लेकिन पीएम मोदी ने कर्ज माफी से परहेज किया और यह संदेश दिया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना हो या 6 हजार की किसान सम्मान निधि ऐसी योजनाएं जरूरतमंदों की कल्याण के लिए है जो कि सुशासन का हिस्सा है. आम आदमी पार्टी ने भी तीनों राज्यों में चुनाव लड़ा था और मुफ्त में बहुत कुछ देने की घोषणा की थी लेकिन कांग्रेस आप की इन घोषणाओं को लोगों ने ठुकरा दिया.

कांग्रेस का जाति कार्ड फेल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातीय जनगणना पर बहुत जोर दिया था. इसके लिए कांग्रेस ने यू टर्न ले लिया था लेकिन कांग्रेस का ये कार्ड नहीं चला. ओबीसी वोट, एसटी वोट और एससी वोट बीजेपी के साथ जुड़ा रहा. युवाओं में अभी भी पीएम मोदी का क्रेज है.

सनातन धर्म का विरोध भारी पड़ा

बेशक इस चुनाव में डीएमके जैसी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही थी लेकिन जिस तरह से उसने सनातन धर्म पर वार किया और कांग्रेस चुप्पी साधे रही, राहुल गांधी श्रीराम और सियाराम, असली और नकली हिंदू का मतलब समझाते रहे वो भी उन पर भारी पड़ा. भाजपा ने बहुत होशियारी से हिंदुत्व, राष्ट्रवाद के साथ राम मंदिर से लोगों को कनेक्ट कर लिया.

उत्तर-दक्षिण में विभाजन मंजूर नहीं

कर्नाटक जीतने के बाद कांग्रेस संकेतों उत्तर-दक्षिण का संदेश दे रही थी. राहुल गांधी जब अमेठी से हारे और वायनाड से जीते तब भी उन्होंने उत्तर की राजनीति को कोसा था. इस चुनाव परिणाम के बाद भी कार्ति चिंदंबरम जैसे नेता एक्स पर पोस्ट कर वही विभाजनकारी राजनीति कर रहे हैं. ऐसा करते समय वह भूल रहे हैं कि बेशक 7 सीटें ही सही भाजपा ने तेलंगाना में अपनी सीटें बढ़ाई है. वहां पर बीआरएस कमजोर हुई है और बीजेपी थोड़ी मजबूत.

पीएम मोदी की साख

एक दो राज्यों की हार को छोड़ दें तो पीएम मोदी की साख बहुत जबरदस्त है. युवा, बुजुर्ग, महिलाओं में उनकी पैठ है. हर वर्ग के लोग उनकी बातों पर भरोसा करते हैं. एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो मानता है कि भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और सभ्यतागत पुनरुत्थान करने में वो लगे हैं. जो कांग्रेस के वोटर्स है वो भी लोकसभा चुनाव में मोदी का समर्थन करते हैं.

पांच राज्यों के चुनाव को सेमी फाइनल कहा जा रहा था. राजनीति संकेतों और संदेशों से चलती है, इन परिणामों का संकेत बहुत दूर तक जाएगा. एक तरफ जहां भाजपा अभी से आम चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट जाएगी वहीं विपक्षी गठबंधन इंडी और कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा. गठबंधन में बिखराव भी बढ़ सकता है.

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