Iran Hijab protest: ईरान में हिजाब (Hijab) को लेकर विवाद बहुत पुराना है. वहां सालों से अचानक हिजाब विरोधी प्रदर्शन होने लगते हैं. महिलाएं और छात्राएं बड़ी तादाद में आंदोलन लीड करती हैं. अहौ दारियाई, मेहसा अमीनी, मसीह अलीनेजाद और निका शाकर्रामी जैसे कई नाम हिजाब विरोधी आंदोलन की पहचान बनें. अब बांग्लादेश भी ईरान की दिखाई राह पर चल पड़ा है.
नई दिल्ली: जब दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं कुछ देशों ने अपने एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए हिजाब के मुद्दे का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।इसमें बांग्लादेश तालिबान और ईरान की राह पर चलते हुए दिख रहा है। हाल ही में ये खबर सुर्खियों में आई, जब ईरान की एक महिला ने हिजाब के खिलाफ हो रही मॉरल पुलिसिंग के विरोध में अपने सारे कपड़े उतारकर न्यूड प्रोटेस्ट किया। इस घटना के बाद पूरी दुनिया में लोगों ने दुआ की कि उसकी स्थिति भी मेहसा अमीनी जैसी न हो।
ईरान में महिलाएं हिजाब के बिना घर से बाहर निकलने पर बवाल मच जाता है। यहां पर हिजाब के खिलाफ सैकड़ों महिलाएं वेस्टर्न ड्रेस पहनकर नाचती हुई दिखाई दीं, जिससे विरोध बढ़ा। ईरान में हिजाब का कानून तोड़ने पर सजा दी जाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां की महिलाएं इसका विरोध कर रही हैं। कॉलेज की छात्राएं, कामकाजी महिलाएं और गृहिणियां हिजाब के खिलाफ आवाज उठाने लगी हैं।
एक ऐसा वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक महिला हिजाब के विरोध में कपड़े उतार कर पुलिस वैन पर चढ़ गई और विरोध जताया। ईरान में हिजाब विरोध की चिंगारी 2022 में तब भड़की, जब महसा अमीनी नामक लड़की को हिजाब नहीं पहनने पर पुलिस ने पकड़ा और मारा, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद, ईरानी महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और हिजाब के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। यही ईरान है, जहां महिलाओं पर सबसे ज्यादा प्रतिबंध हैं, लेकिन अब वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
वहीं, बांग्लादेश में बिल्कुल उल्टा हो रहा है। हाल ही में बांग्लादेश में हिजाब के समर्थन में एक रैली आयोजित की गई। यह बांग्लादेश में हुआ है, जो एक मुस्लिम देश के रूप में महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई सुधारों के लिए जाना जाता है। लेकिन हिजाब के समर्थन में यह रैली यह दिखाती है कि अब बांग्लादेश में कट्टरपंथी विचारों का प्रभाव बढ़ रहा है।
जब से मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली है, ढाका कट्टरपंथियों का केंद्र बन गया है। ढाका विश्वविद्यालय में हिजाब के समर्थन में रैली का आयोजन, इस बदलाव को साफ तौर पर दिखाता है। बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस पर चिंता जताई है और इस रैली को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, “एक समय था जब ढाका विश्वविद्यालय महिला मुक्ति का गढ़ था, लेकिन अब यह मदरसों से आए कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित हो चुका है।”
तसलीमा ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इन महिलाओं को यह नहीं पता कि ईरान में हिजाब के खिलाफ संघर्ष करने वाली महिलाओं को जेल में डाल दिया गया है। बांग्लादेश में इस समय शेख हसीना के खिलाफ विरोध की एक और लहर चल रही है, क्योंकि उनकी सरकार महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर साड़ी और पारंपरिक भारतीय पहनावे को बढ़ावा देती है, जबकि हिजाब और कट्टरपंथी विचारों की ओर बढ़ते रुझान देश की पहचान के लिए एक बड़ा खतरा हो सकते हैं।