नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस की 111 साल पुरानी परंपरा बदल दी है। दरअसल व्हाइट हाउस की तरफ से मीडिया पॉलिसी में बदलाव किया गया है। नई पॉलिसी के तहत अब ब्लूमबर्ग, रॉयटर्स और एसोसिएटेड प्रेस जैसी इंटरनेशनल न्यूज एजेंसियां व्हाइट हाउस के प्रेस पुल से बाहर कर दी गई है। अब इन न्यूज एजेंसियों को प्रेस पुल में स्थाई रूप से जगह नहीं मिलेगी।
आपको बता दें कि व्हाइट हाउस के प्रेस पुल में करीब 10 मीडिया संस्थानों का एक समूह रहता है। इसमें पत्रकार और फोटोग्राफर शामिल रहते हैं, जो राष्ट्रपति की हर छोटी-बड़ी गतिविधि को कवर करते हैं। दूसरे मीडिया संस्थान राष्ट्रपति से जुड़े कवरेज के लिए इन्हीं प्रेस पुल पर निर्भर करते हैं। इस पॉलिसी में बदलाव के कारण अब अमेरिकी राष्ट्रपति तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।
व्हाइट हाउस के इस फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इसे प्रेस कवरेज को नियंत्रित करने का प्रयास बताया, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। नई नीति के तहत अब व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट तय करेंगी कि कौन सा पत्रकार या मीडिया संगठन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सवाल पूछ सकता है। यह नीति व्हाइट हाउस के ओवल ऑफ़िस, प्रेस ब्रीफ़िंग रूम और राष्ट्रपति के विशेष विमान ‘एयर फ़ोर्स वन’ में भी लागू होगी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि अब उनकी टीम हर दिन प्रेस पूल के सदस्यों का चयन करेगी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संदेश को सही से लोगों तक पहुंचाना और हर मुद्दे के विशेषज्ञों को प्रेस पूल में जगह देना है। व्हाइट हाउस के इस फैसले को प्रेस की आजादी पर हमला माना जा रहा है। एपी, रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग जैसी न्यूज एजेंसियों ने कहा कि हमारी खबरें हर दिन अरबों लोगों तक पहुंचती हैं। सरकार के इस कदम से जनता के स्वतंत्र और सटीक सूचना के लिए अपना स्रोत चुनने का अधिकार खत्म हो जाएगा।