Yoga in Saudi Arabia : सऊदी अरब की सरकार देश में योग को बढ़ावा दे रही है. सऊदी में बहुत तेजी से बच्चों से लेकर बुजुर्ग समेत सभी स्थानीय लोग योग को अपनाकर इसका लाभ उठा रहे हैं.
नई दिल्ली: सऊदी अरब की राजकुमारी मशाल बिंत फैसल अल सौद ने योग के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। वह एशियाई योग खेल फेडरेशन के बोर्ड में पहली बार सदस्य चुनी गई हैं। इसके साथ ही, वह सऊदी अरब का प्रतिनिधित्व करते हुए एशियाई योगासन खेल संघ में कार्य करेंगी और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा से संबंधित समिति की अध्यक्ष भी होंगी। इस उपलब्धि के बाद सऊदी योग समिति और कई भारतीयों ने सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दी है।
सऊदी अरब, जो एक इस्लामी देश माना जाता है, अब योग के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। वहीं, मालदीव, मलेशिया और पाकिस्तान जैसे देशों में कुछ कट्टरपंथी योग को गैर-इस्लामिक मानते हैं और मालदीव में तो योग के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा गया है।
सऊदी अरब की सरकार योग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है। सरकार के मानव संसाधन और सामाजिक विकास मंत्रालय ने सऊदी योगा समिति के साथ समझौता किया है। यह पहल सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ‘विजन 2030’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को तेल के स्रोत से हटाकर पर्यटन और तकनीकी क्षेत्र पर केंद्रित करना है। इस योजना के तहत योग का उपयोग कार्यस्थलों में संतुलन और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा और इस दिशा में राजकुमारी मशाल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
सऊदी अरब में योग की क्रांति लाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली नोउफ अलमारवाई, जो सऊदी की पहली सर्टिफाइड योग प्रशिक्षक हैं उन्होंने सऊदी में योग को कानूनी मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।