बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने दावा किया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हिंसा और बर्बरता की 1,769 घटनाएं हुई।
नई दिल्ली। महीनों से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, लेकिन शांति के लिए नोबेल पुरस्कार लेने वाले मोहम्मद यूनुस अंधे बनकर बैठे हैं। उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन अब उनके देश की पुलिस ने ही उनकी पोल खोल दी है। उनका कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन अब उनके देश की पुलिस ने ही उनकी पोल खोल दी है।
बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने दावा किया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हिंसा और बर्बरता की 1,769 घटनाएं हुई। 1,769 घटनाओं में से, पुलिस ने केवल 62 मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में केवल 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ये सभी हमले राजनीति से प्रेरित थे, सांप्रदायिक नहीं। कथित पुलिस जांच में, 1,234 घटनाओं को राजनीति से प्रेरित और केवल 20 को सांप्रदायिक रूप से प्रेरित बताया गया था। परिषद ने कहा कि 1,452 घटनाएं केवल 5 अगस्त, 2024 को हुईं, जब हसीना सत्ता छोड़कर भारत भाग गईं।
साथ ही, अंतरिम सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा के प्रति शून्य-सहिष्णुता अपनाने का दावा किया। मुख्य सलाहकार के उप प्रेस सचिव अबुल कलाम आज़ाद मजूमदार ने कहा, “सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह पीड़ितों को मुआवजा देगी। अंतरिम सरकार पंथ, रंग, जाति या लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव के लिए मानवाधिकारों की स्थापना को सर्वोच्च महत्व देती है।” हसीना सरकार के पतन के बाद, भारत ने कई बार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है।
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