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इलेक्ट्रिक शॉक के बदले पाकिस्तान के गले में लंबा फंदा डाल दिया…अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने भी उतार दी पाकिस्तान की इज़्ज़त

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारतीय में पाकिस्तान को लेकर आक्रोश बना हुआ है। सरकार से मांग की जा रही है कि पाक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाये। इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

Amrullah SalehAmrullah Saleh
inkhbar News
  • May 5, 2025 8:26 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारतीय में पाकिस्तान को लेकर आक्रोश बना हुआ है। सरकार से मांग की जा रही है कि पाक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाये। इसी बीच अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान के मजे लिए हैं।

पाक पर शिकंजा

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने इस हमले को लेकर अपने सोशल मीडिया पर लिखा है कि लगता है कि भारत ने अपने दुश्मनों को सजा देने के लिए इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल न करके उनके गले में लंबा फंदा डाल दिया है। उनके इस बयान का यह मतलब है कि भारत अपने दुश्मनों का एक झटके में काम तमाम नहीं करके उस पर पूरी तरह से शिकंजा कसकर उसे तिल-तिलकर सजा दे रहा है।

मोदी का एक्शन जारी

पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह पहली बार है जब भारत ने इतनी बड़ी और सख्त कार्रवाई की है। भारत और पाकिस्तान के बीच तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं लेकिन इस संधि को पहले कभी निलंबित नहीं किया गया। पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से निकाला गया। बड़ी संख्या में पाक कलाकारों और नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट को भारत में बैन कर दिया गया।

जानिए कौन हैं अमरुल्लाह सालेह?

अक्टूबर 1972 में पंजशीर प्रांत में जन्मे अमरुल्लाह ताजिक जातीय समूह के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कम उम्र में ही अपने परिवार को खो दिया था। ऐसे में वह कम उम्र में ही अहमद शाह मसूद के नेतृत्व वाले तालिबान विरोधी आंदोलन में शामिल हो गए। जानकारी के मुताबिक, अमरुल्लाह सालेह को तालिबान ने निजी तौर पर नुकसान पहुंचाया है। 1996 में तालिबान ने उनकी बहन को प्रताड़ित कर मार डाला था। सालेह का कहना है कि उसके बाद से तालिबान के प्रति उनका झुकाव पूरी तरह बदल गया। ऐसे में उन्होंने तालिबान को हराने की लड़ाई में हिस्सा लिया।

 

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