India Ghana Trade : पीएम मोदी आज बुधवार (2 जुलाई 2025) को घाना के लिए रवाना हो गए हैं। बता दें कि 30 साल बाद कोई भारतीय पीएम इस अफ्रीकी देश की यात्रा पर जा रहा है। इससे अब ये सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो पीएम मोदी इस सालों बाद घाना का दौरा कर रह हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि ज्यादातर अफ्रीकी देशों को गरीब की श्रेणी में रखा जाता है। इसके बाद भी आपको जान कर हैरानी होगी कि यहां पर भारत ने 25 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का निवेश कर रखा है।
लेकिन पीएम मोदी की घाना यात्रा से एक देश को काफी मिर्ची लग सकती है और वो है पड़ोसी देश चीन। और इसके पीछे की वजह ड्रैगन का वहां पर भारी भरकम निवेश है। पीएम मोदी का दौरा बीजिंग के लिए सिर दर्द साबित हो सकता है। इस अफ्रीकी देश की जनसंख्या हमारी राजधानी दिल्ली के बराबर है, जहां करीब 3.5 करोड़ लोग रहते हैं।
घाना में भारत का अरब डॉलर का निवेश
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान बातचीत का फोकस भारत के विकास कार्यक्रम पर है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने निजी कारोबार के जरिए इस अफ्रीकी देश में 2 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है, जबकि सरकार ने 1 अरब डॉलर (8.5 हजार करोड़ रुपये) का अनुदान भी दिया है।
इसके अलावा भारत यहां राष्ट्रपति भवन बनाने के साथ ही जुबली हाउस समेत कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास में भागीदारी कर रहा है। वहीं, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5 अरब डॉलर से ज्यादा पहुंच गया है। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी सोना घाना से आयात करता है।
कोविड के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। खासकर दवाइयां, कृषि मशीनरी, वाणिज्यिक वाहन, बिजली के उपकरण, प्लास्टिक उत्पाद, लोहा और इस्पात, शराब, अनाज और कपड़े भारत से निर्यात किए जाते हैं। आयात की बात करें तो भारत यहां से 70 से 80 फीसदी सोना आयात करता है, जबकि कोको उत्पाद, काजू, लकड़ी के उत्पाद, मसाले और स्क्रैप मेटल भी आयात करता है।
भारत-चीन दोनों क्यों कर रहें घाना में इतना निवेश?
जानकारी के लिए बता दें कि घाना दुनिया का 11वां सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है और इसकी खनिज संपदा (खासकर सोना) अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार है। इसके अलावा घाना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोको उत्पादक देश है और यहां कोको से बनी चॉकलेट पूरी दुनिया में मशहूर है। साल 2007 में घाना के तट पर तेल की खोज ने इसे काफी आर्थिक मजबूती दी है। घाना को भले ही गरीब देशों की सूची में रखा जाता हो, लेकिन यहां की साक्षरता दर करीब 77 फीसदी है। अफ्रीकी देशों के लिहाज से यह काफी ज्यादा है।
साल 2018 में घाना की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 80 अरब डॉलर था, जो अब 100 अरब डॉलर को पार कर चुका है। 2024 में इसकी विकास दर 5.7 फीसदी रही, जो अफ्रीकी देशों में सबसे ज्यादा मानी जा रही है।
ड्रैगन को भारत की सीधी टक्कर
रिपोर्ट्स के मुताबिक घाना में निवेश के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है। इस अफ्रीकी देश में भारतीय कंपनियों ने 870 प्रोजेक्ट में निवेश किया है। इसके अलावा भारत से 100 मिलियन डॉलर का विदेशी निवेश भी आया है। घाना में भारत तीसरा सबसे बड़ा एफडीआई निवेशक है।
भारत यहां शमा जिले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का फर्टिलाइजर प्लांट लगाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा वह यहां 100 किलोमीटर रेलवे लाइन बिछाने के साथ ही यूपीआई सुविधा भी शुरू कर रहा है।
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