Pahalgam Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दुनियाभर के देशों ने इस घटना की निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार दोहरा रहे हैं कि इस हमले को अंजाम देने वाले को वो पाताल से भी ढूंढ लाएंगे। उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी, जिसकी कल्पना तक नहीं कर सकते। उधर पाकिस्तान तो परमाणु हमले की धमकी तक देने पर उतर आया है। इन सबके बीच यह सवाल उठ रहा कि अगर भारत-पाकिस्तान में युद्ध हुआ तो चीन और अमेरिका किसके साथ खड़े होंगे?
बता दें कि चीन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। अपने बयान में चीन ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं लेकिन जानकारों की माने तो मौजूदा परिस्थिति में चीन इस विवाद से खुद को दूर रख सकता है। चीन और पाकिस्तान में करीबी है और भारत के साथ उसका सीमा विवाद चल रहा। पहलगाम हमले के बाद अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन किया। आतकंवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ देने की बात कही है।
अमेरिका दोनों तरफ नजर रख रहा है। वाशिंगटन को मालूम है कि अगर उसे चीन का मुकाबला करना है तो भारत को अब 1971 की तरह घुड़की नहीं दे सकता। साउथ एशिया मामलों के एक्सपर्ट माइकल कुगलमन का कहना है कि भारत अब पाकिस्तान की तुलना में अमेरिका के लिए ज्यादा जरूरी है। भारत अगर जवाबी कार्रवाई करता है तो वाशिंगटन बीच में बाधा डालने की कोशिश नहीं करेगा। इससे इस्लामाबाद को चिंता हो सकती है।
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी का कहना है कि ऐस मालूम पड़ता है कि ट्रंप हस्तक्षेप के मूड में नहीं है। चीन ने पहलगाम हमले की निंदा की है लेकिन वह पाकिस्तान की संलिप्तता पर चुप है। भारत की तुलना में पाकिस्तान चीन का करीबी है लेकिन भारत का बड़ा बाजार और अमेरिका से टैरिफ वॉर के बीच भारत के खिलाफ जाना चीन के लिए आसान नहीं है। बीजिंग नहीं चाहेगा कि भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्ते अभी प्रभावित हों। सीधे शब्दों में कहे तो अमेरिका और चीन भारत या पाकिस्तान दोनों में से किसी का खुलकर समर्थन नहीं करेंगे। वो चाहेंगे कि मसला बातचीत से ही हल हो जाए।