नई दिल्ली: पड़ोसी देश बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुए 48 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. हसीना अभी भारत की राजधानी नई दिल्ली में हैं. वह दूसरे देशों से शरण लेने की कोशिश में हैं. इस बीच दिल्ली के सियासी गलियारों में बांग्लादेश के घटनाक्रम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं. इस दौरान कुछ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर हस्तक्षेप करें तो शेख हसीना को 24 घंटे के अंदर ही फिर से बांग्लादेशी पीएम की कुर्सी मिल जाएगी. वे 1971 में इंदिरा सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का उदाहरण देते हुए ऐसी बातें कर रहे हैं.
बता दें कि 1971 में हुई कार्रवाई को फिर से दोहराना भारत के लिए आसान नहीं होगा. इस बार बांग्लादेश में हालात बिल्कुल उलट हैं. इस वक्त शेख हसीना से बांग्लादेश में लोग काफी गुस्सा हैं. इसी वजह से उन्हें इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा है. बांग्लादेश की सेना भी हसीना के पक्ष में नहीं है. ऐसे में भारत की ओर से बांग्लादेश में कोई सैन्य कार्रवाई की जाए, हसीना को फिर से सत्ता में बिठाने के लिए ऐसी कोई भी संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है.
अब बात करें साल 1971 में हुए भारत की सैन्य कार्रवाई के बारे में तो उस वक्त बांग्लादेश के लोग अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. तब बांग्लादेश एक अलग मुल्क न होकर पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था. उस वक्त शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का नेतृत्व कर रहे थे. मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जंग छेड़ी हुई थी. इस दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना भेजकर मुक्ति वाहिनी की मदद की थी और बांग्लादेश को एक नया मुल्क बनाया था.
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