नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना 5 अगस्त को इस्तीफा देकर भारत आ गईं. माना जा रहा था कि वह भारत से सीधे लंदन रवाना हो जाएंगी, लेकिन अभी तक ब्रिटेन की ओर से इसकी स्वीकृति नहीं मिली है. जिसके बाद अब संभावना जताई जा रही है कि हसीना कुछ और दिन भारत में रह सकती हैं. हालांकि, भारत सरकार हसीना को ज्यादा दिनों तक अपने यहां नहीं रखना चाहेगी, उसकी 4 बड़ी वजहे हैं. आइए जानते हैं उन वजहों के बारे में…
शेख हसीना के ज्यादा दिन भारत में रहने से बांग्लादेश में जो नई सरकार बन रही है उसके नई दिल्ली से संबंध खराब हो सकते हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार खुलेआम हसीना का समर्थन करने से बच रही है. सरकार इस मामले में तटस्थता बनाए रखना चाहती है. उसकी कोशिश ये भी है कि वर्तमान समय में बांग्लादेश में जो भारत विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं, उसे रोका जाए.
बता दें कि अगर भारत शेख हसीना का समर्थन करते हुए उन्हें अपने यहां ज्यादा दिनों तक शरण देता है तो इससे चीन को फायदा हो सकता है. हसीना के भारत में होने से बांग्लादेश की नई सरकार चीन की ओर अपना ज्यादा झुकाव दिखा सकती है, जो मोदी सरकार बिल्कुल नहीं चाहती. मालूम हो कि 1975 से 1981 के बीच भारत हसीना परिवार को अपने यहां शरण दे चुका है. लेकिन तबके हालात दूसरे थे. उस वक्त हसीना परिवार के खिलाफ बांग्लादेश के लोगों में इतना गुस्सा नहीं था.
शेख हसीना को शरद देने पर बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना के और ज्यादा बढ़ने की आशंका है. इस वक्त शेख हसीना से बांग्लादेश में लोग काफी गुस्सा हैं. इसी वजह से उन्हें इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा है. ऐसे में अगर भारत हसीना को ज्यादा दिनों तक अपने यहां पर शरण देता है तो बांग्लादेश के आंदोलनकारी इसे अपने अपमान के रूप में देखेंगे. इससे उनके अंदर भारत विरोधी भावना में इजाफा होगा.
भारत सरकार को इस वक्त बांग्लादेश में मौजूद 19 हजार भारतीयों और 1.3 करोड़ हिंदुओं की चिंता है. केंद्र सरकार अगर हसीना को अपने यहां ज्यादा दिनों तक शरण देती है तो बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों और हिंदुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है. बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन इन्हें टार्गेट कर सकते हैं. यही वजह है कि मोदी सरकार भारतीयों लोगों और बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देकर हसीना को दिल्ली में ज्यादा दिनों तक नहीं रखना चाहेगी.
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