China Taiwan Tension:
नई दिल्ली। ताइवान के साथ चल रहे विवाद पर अब चीन को एक और देश का समर्थन मिल चुका है। पहले रूस, फिर पाकिस्तान और अब श्रीलंका ने चीन का साथ देने का फैसला किया है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के एक दिन बाद एक चीन नीति को लेकर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने प्रतिबद्धता जताई है। बता दें कि चीन ने स्पीकर पेलोसी के ताइवान दौरे का तीखा विरोध किया था।
रानिल विक्रमसिंघे ने क्या कहा?
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को किए अपने एक ट्वीट में लिखा कि श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग के साथ एक बैठक के दौरान एक चीन नीति के साथ-साथ राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों के लिए श्रीलंका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया।
During a meeting with H.E. Qi Zhenghong, Ambassador of China, I reiterated Sri Lanka's firm commitment to the one-China policy, as well as to the UN Charter principles of sovereignty and territorial integrity of nations. (1/2)
— Ranil Wickremesinghe (@RW_UNP) August 4, 2022
उकसावे की स्थिति से बचना चाहिए
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीनी राजदूत क्यूई के साथ अपनी बैठक के दौरान बुधवार कहा था कि देशों को उकसावे की किसी भी ऐसी स्थिति से बचना चाहिए जिससे मौजूदा वैश्विक तनाव और बढ़े। उन्होंने ये भी कहा आपसी सम्मान और देशों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप शांतिपूर्ण सहयोग और गैर-टकराव के लिए महत्वपूर्ण आधार हैं।
श्रीलंका पर है चीन का भारी कर्ज
बता दें कि इस वक्त श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग चुके है। फिलहाल राष्ट्रपति पद पर रानिल विक्रमसिंघे है। श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया है। जिसे अभी उसे चुकाना है।