नई दिल्ली. अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है. अमेरिकी ड्रोन गिराने के बाद से ही दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं. अमेरिका ने जवाबी हमला करते हुए ईरान के मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और एक जासूसी नेटवर्क पर साइबर हमला किया है. वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक इस हमले से ईरान के रॉकेट और मिसाइल प्रक्षेपण में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचा है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने जल मार्ग की जासूसी करने वाले ईरानी समूह को भी नुकसान पहुंचाया है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप ने कहा है कि ईरान पर नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे. वहीं ईरान और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात हुई जिसमें 2015 के परमाणु समझौते पर बात हुई.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि हम ईरान के ऊपर इस हफ्ते नए और बड़े प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं. ट्रंप ने कहा था कि ईरान को किसी भी सूरत में परमाणु संपन्न देश नहीं बनने देंगे. ट्रंप ने कहा था कि इस्लामिक गणराज्य ईरान एक खुशहाल देश बन सकता है अगर वह परमाणु हथियार हासिल करने की अपनी मंशा छोड़ दे. वहीं ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका पर मध्य पूर्व में तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया. ईरान के परमाणु सौदे से अमेरिका के बाहर निकलने से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. रूहानी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अमेरिका को इसका अंजाम भुगतना होगा. ईरान के मेजर जनरल जी राशिद ने कहा कि अगर क्षेत्र में युद्ध छिड़ता है तो कोई भी देश इसे रोकने की स्थिति में नहीं होगा. यह युद्ध अनंतकाल तक चल सकता है.
क्या था परमाणु समझौता जिससे पीछे हटा अमेरिका
2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जतायी थी. ट्रंप ने मई 2018 में इस समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था. तभी से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है.
अब क्या होगा..
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की चर्चा आगामी 28 और 29 जून को जापान के ओसाका में होने वाली जी-20 समिट में भी हो सकती है. अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं जिससे ईरान से सस्ते दर पर तेल खरीदने वाले देशों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्हें अब मंहगे दर पर प्रति बैरल तेल की कीमत अदा करनी पड़ रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि ईरान पर हमले को उन्होंने आखिरी वक्त में रोक दिया क्योंकि उन्हें बताया गया कि हमले से 150 आम ईरानी नागरिकों की भी जान जाएगी. दूसरी तरफ ईरान भी अपने आक्रामक रूख में ढील देने को तैयार नहीं है. साइबर युद्ध की शुरुआत हो चुकी है. अगर यह और आगे बढ़ता है तो दुनिया को पहले साइबर युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए. बात अगर यहीं नहीं थमी तो अमेरिका और ईरान की सेनाएं आपस में टकरा सकती है. वैश्विक बिरादरी इस युद्ध को टालने की कोशिश करेगा. डोनाल्ड ट्रंप और ईरान की गतिविधियों को पूरा विश्व देख रहा है.