करवा चौथ के दिन महिलाए अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं और सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती है
करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूरा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन चंद्रमा की पूजा क्यों होती है
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब गणेश जी को हाथी का सिर लगाया गया था, तब चंद्र देव ने उनका मजाक उड़ाया था, क्योंकि चंद्रमा को अपनी सुंदरता पर अभिमान था
तब भगवान गणेश ने चंद्र देव को श्राप दिया और कहां कि वो अपनी चमक और सुंदरता खो देंगे, जिसके बाद चंद्र देव कांतिहीन होने लगे.
इसके बाद चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास होता है और वो गणेश जी से क्षमा मांगते हैं, जिस पर भगवान कहते हैं श्राप वापस नहीं हो सकता
गणेश जी कहते हैं कि मैं तुम्हें माफ करता हूं और वरदान देता हूं कि कृष्ण पक्ष के 15 दिन आपकी कांति कम होगी और शुक्ल पक्ष में 15 दिन बढ़ेगी
गणेश जी ने चंद्र देव को आशीर्वाद भी दिया और कहा जो भी व्यक्ति कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखेगा, वो मैरी भी यानी गणपति बप्पा की पूजा भी जरूर करेगा
साथ ही कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का रात में चंद्रमा को अर्घ्य देगा, अगर ऐसा नहीं करेगा तो व्रत पूरा नहीं होगा.
तब ही से संकष्टी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्र पूजा करने और अर्घ्य देने की परंपरा है करवा चौथ व्रत भी चतुर्थी के दिन किया जाता है