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108 बार ही क्यों किया जाता है मंत्र का जाप?

हिंदू धर्म में मंत्रों का बेहद खास बताया गया हैं, क्योंकि वे आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और शारीरिक लाभ प्रदान करते हैं.

मंत्र पवित्र ध्वनि होते हैं जो ईश्वर का आह्वान करने, शत्रुओं से सुरक्षा पाने और इच्छाओं को पूरा करने में मदद करते हैं

ज्यादातर लोगों ने देखा होगा कि लोग 108 बार मंत्रों का जाप बार करते हैं और ऐसा करना शुभ माना जाता है.

दरअसल, हिंदू मालाओं में 108 मनके होते हैं और इसके साथ एक 'गुरु मनका' होता है, जिसके चारों ओर सभी 108 मनके घूमते हैं।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है, जिनके नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन हैं।

12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं।

ग्रहों की संख्या 9 का राशियों की संख्या 12 में गुणा करने पर 108 संख्या प्राप्त होती है।

इसके अलावा कुल 27 नक्षत्र होते हैं और हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं।

ऐसे में माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व होता है, इसी वजह से माला में 108 मनके होते हैं और इसलि मंत्रों का 108 बार जाप किया जाता है.

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