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आखिर क्यों मनाते हैं करवा चौथ? कब हुई थी इस व्रत की शुरुआत

आखिर क्यों मनाते हैं करवा चौथ? कब हुई थी इस व्रत की शुरुआत

दरअसल करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है.

बता दें कि ये व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है.

इस व्रत में महिलाएं सूर्योदय से चांद देखने तक निर्जला उपवास रखती हैं.

ऐसे में व्रत के दौरान सरगी का खास महत्व होता है, जो कि सास के द्वारा दी जाती है.

करवा चौथ के व्रत में शाम को महिलाएं सोलह श्रृंगार करके कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं.

फिर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, साहूकार की बेटी करवा ने अपने पति को पुनर्जीवन दिलाने के लिए ये व्रत किया था.

साथ ही बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी द्रौपदी को इस व्रत की महिमा बताई थी.

ये व्रत प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है, जो कि भारतीय संस्कृति की गहराई और स्त्री शक्ति की श्रद्धा को दर्शाता है.

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