कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि के दिन अक्षय नवमी का त्योहार मनाया जाता है . इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. चलिए जानते हैं यह त्योहार क्यो खास है
शास्त्रो में अक्षय नवमी को सत्य युग का प्रारंभ माना गया है। इस दिन किए गए दान, स्नान और पूजा का पुण्य अक्षय होती है
कहा जाता है कि आंवला के वृक्ष में भगवान विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इसकी पूजा से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
शास्त्रो के अनुसार अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष की पूजा से पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने आंवला के वृक्ष को अमरत्व का वरदान दिया था.
आंवला विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, इसलिए इसे आयुर्वेद में इसे रोग प्रतिरोधक और पाचन सुधारक माना जाता है
अक्षय नवमी के दिन सुबह स्नान कर आंवला वृक्ष को जल, रोली, अक्षत और फूल अर्पित करनी चाहिए , ऐसा करने से भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी खुश होती है.
आंवला पूजा से धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही यह पितरों को तृप्त और शनि दोष को कम करता है
अक्षय नवमी पर नदी स्नान और दान करने का बेहद महत्व है. ऐसे में आप आंवला, अनाज या वस्त्र का दान गरीबों और जरूरतमंदो को कर सकते हैं