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दिवाली पर लोग क्यों फोड़ते हैं पटाखे, आखिर क्या है इस उल्लास के पीछे की कहानी?

दिवाली पर लोग क्यों फोड़ते हैं पटाखे, आखिर क्या है इस उल्लास के पीछे की कहानी?

बता दें कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने की परंपरा सिर्फ उत्सव ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भावनाओं से जुड़ी है.

दरअसल दिवाली पर पटाखे फोड़ना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है.

मान्यता है कि पटाखों की आवाज से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां दूर होती हैं.

दिवाली के दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने पर लोगों ने दीप जलाएं और उत्सव मनाया, जिससे ये परंपरा शुरू हुई.

ये बात तो आप जानते ही होंगे कि पटाखे त्योहार का माहौल बनाते हैं और खुशी दिखाने का माध्यम हैं.

बता दें कि भारत में 15 वीं सदी से पटाखों का इस्तेमाल धार्मिक और शाही आयोजनों में होता आया है.

ऐसे में आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पटाखा निर्माता है और शिवकाशी इसका प्रमुख केंद्र है.

हालांकि, बढ़ते प्रदूषण के कारण सरकार ने कई जगहों पर पटाखों पर बैन लगा दिया है और अब ग्रीन पटाखों का चलन बढ़ रहा है.

आज के समय में कई लोग ध्वनि और वायु प्रदूषण से बचने के लिए बिना पटाखों के भी दिवाली मनाते हैं.

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