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पंडित छन्नूलाल मिश्रा के ये भजन और सोहर जो आज भी गूंजते हैं
Anuradha-kashyap
Oct 02, 2025
Oct 02, 2025
Anuradha-kashyap
पंडित छन्नूलाल मिश्रा के ये भजन और सोहर जो आज भी गूंजते हैं
‘भजो रे मन राम गोविंद हरि’ भजन में उनकी गायकी भक्ति रस से भर देती है, इसे सुनकर हर भक्त का मन शांत हो जाता है.
‘श्याम बिना चैन ना आये’ भजन कान्हा की याद और विरह की पीड़ा को जिन्दा कर देता है, इस गीत में उनकी भावनाओं की गहराई झलकती है.
‘केवट संवाद’ में उन्होंने रामायण का प्रसंग इस तरह गाया कि सुनने वाला सीधे उस पल को महसूस कर सके, यही उनकी गायकी की खासियत है.
‘हनुमान चालीसा’, ‘विंधेश्वरी चालीसा’ और ‘शिव चालीसा’ जैसे पाठों को उन्होंने अपनी गहराई भरी आवाज़ से अमर कर दिया, ये आज भी श्रद्धा से सुने जाते हैं.
‘सुंदरकांड’ की प्रस्तुति उनकी गायकी का एक बड़ा योगदान है, हर चौपाई को भक्ति और भाव से गाने का हुनर सिर्फ उन्हीं में दिखता है.
‘मोर पिछरवा’ और ‘खेलें मसाने में होरी दिगंबर’ जैसे लोक रंग से भरे गीतों में उनकी बनारसी पहचान और लोक संस्कृति की झलक साफ दिखती है.
कृष्ण भक्ति की दिव्य धुनें हों या शिव की महिमा, पंडित छन्नूलाल मिश्रा का हर भजन और सोहर श्रोताओं के दिल में हमेशा जीवित रहेगा.
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