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YouTube पर बैन लगाने के पीछे क्यों पड़ी Meta…क्या भारत में भी हो सकता है बंद?

ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, अब Meta, Snap और TikTok जैसी कंपनियां YouTube पर भी इसी तरह की पाबंदी की मांग कर रही हैं। Meta का कहना है कि YouTube की वजह से भी बच्चे हानिकारक कंटेंट का शिकार हो सकते हैं।

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  • March 5, 2025 2:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, अब Meta, Snap और TikTok जैसी कंपनियां YouTube पर भी इसी तरह की पाबंदी की मांग कर रही हैं। इन कंपनियों का कहना है कि यदि अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह कानून लागू हो सकता है, तो YouTube को इससे अलग क्यों रखा गया?

बैन करने की मांग

Meta, TikTok और Snap का कहना है कि YouTube भी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की तरह एल्गोरिदमिक कंटेंट रिकमेंडेशन, सोशल इंटरेक्शन फीचर्स और संभावित हानिकारक सामग्री तक बच्चों की पहुंच प्रदान करता है। उनका मानना है कि YouTube पर भी वही खतरे मौजूद हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसी अन्य साइट्स पर हैं।

Meta का कहना है कि YouTube की वजह से भी बच्चे हानिकारक कंटेंट का शिकार हो सकते हैं। TikTok ने इस कानून को असंगत बताया, क्योंकि YouTube को इससे बाहर रखा गया है। Snap ने भी निष्पक्षता की मांग करते हुए कहा कि कानून सभी प्लेटफॉर्म्स पर समान रूप से लागू होना चाहिए।

क्यों नहीं किया गया बैन

नवंबर 2024 में ऑस्ट्रेलिया सरकार ने एक नया कानून लागू किया, जिसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया एक्सेस करने से रोका गया। अगर कोई प्लेटफॉर्म बच्चों को लॉग-इन करने देगा, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि YouTube को इस नियम से छूट दी गई, क्योंकि यह शैक्षिक सामग्री, पारिवारिक नियंत्रण और पेरेंटल सुपरविजन की सुविधाएं देता है। हालांकि भारत में इसको लेकर कोई भी कदम नहीं उठाया गया है, तो भारत के लोगों इस विषय में चिंता लेने की कोई जरूरत नहीं है.

कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी

YouTube ने अन्य कंपनियों की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अपनी कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी को और मजबूत कर रहा है। कंपनी ऑटोमेटेड टूल्स की मदद से हानिकारक कंटेंट की पहचान करने और उसे हटाने पर काम कर रही है। हालांकि अब यह देखना होगा कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस मामले में क्या फैसला लेती है।

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