मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछनी शुरू हो गई है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन अपना राजनीतिक दबदबा कायम रखने में जुटी है, जबकि कांग्रेस-शिवसेना (यूबीटी)-एनसीपी (एस) गठबंधन सत्ता में वापसी के लिए बेताब है। ऐसे में कई छोटी पार्टियां भी किंगमेकर बनने की कोशिश में लगी हैं, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी और सपा जैसी बड़ी पार्टियां शामिल हैं।
सपा और ओवैसी की नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है, जिससे महा विकास अघाड़ी की राजनीतिक चुनौती बढ़ सकती है। ऐसे में अब देखना यह है कि मुस्लिम समुदाय के लोग किसके साथ खड़े नजर आते हैं? असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से लेकर समाजवादी पार्टी तक महाराष्ट्र की राजनीति का सियासी आधार मुस्लिम वोटों पर है।
ओवैसी और सपा अब तक मुस्लिम वोटों के सहारे महाराष्ट्र में अपना खाता खोलने में सफल रही हैं। दोनों ही पार्टियां मुस्लिम वोटों के बल पर किंगमेकर बनने की फिराक में हैं। इसी के चलते सपा और ओवैसी दोनों ही कांग्रेस की अगुवाई वाले भारत गठबंधन के तहत महाराष्ट्र चुनाव लड़ना चाहती हैं। ओवैसी के लिए नो एंट्री का बोर्ड तो लग चुका है, लेकिन सपा से समझौते का रास्ता निकाला जा सकता है।
महाराष्ट्र में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी करीब 12 फीसदी है, जो राजनीतिक तौर पर काफी अहम मानी जाती है। महाराष्ट्र के उत्तरी कोंकण, खानदेश, मराठवाड़ा, मुंबई और पश्चिमी विदर्भ में मुस्लिम मतदाता राजनीतिक दलों का राजनीतिक भविष्य बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। राज्य की करीब 45 विधानसभाओं के मुस्लिम मतदाता अहम हैं, जिनमें मुंबई की सीटें भी शामिल हैं। पिछली बार 10 मुस्लिम विधायक चुनाव जीते थे, जिनमें से 3 कांग्रेस, 2 एनसीपी, 2 सपा, 2 एआईएमआईएम और 1 शिवसेना से थे।
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