अमरावती: तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है, यहां भक्त दिल खोल कर दान करते हैं और पैसे से लेकर सोन-चांदी तक दान के रूप में चढ़ाते हैं. हर दिन लाखों की संख्या में भक्तगण यहां पहुंचे हैं. भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए यहां हर दिन श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगती है. आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी की मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमला की पहाड़ी पर स्थिति है. यहां गर्भगृह में स्थापित मूर्ति भगवान वेंकटेश्वर, तिरुपति बालाजी, वेंकटेश और तिरुपति स्वामी के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.
तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाला प्रसाद लड्डू का महत्व काफी माना जाता है. इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. इन लड्डुओं को काफी महत्व दिया जाता है. इस लड्डू को तिरुपति बालाजी की आशीर्वाद के रूप में भी देखा जाता है. तो चलिए जानते हैं कि इस मंदिर सबसे पहले भगवान वेंकटेश्वर को कौन लड्डू चढ़ाया था.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थापित की जा रही थी, तब इस बात को लेकर मंदिर के पुजारियों में असमंजस थी कि प्रभु वेंकेटश्वर को क्या प्रसाद के रूप में भोग लगाया जाए. उसी वक्त एक बूढ़ी मां हाथ में लड्डुओं की थाली लेकर मंदिर में आई और पहला भोग लगाने की मांग की. तब पुजारियों नें बूढ़ी मां के दिए लड्डुओं को प्रभु वेंकेटश्वर को अर्पित किया और भोग को प्रसाद के रूप में पुजारियों ने ग्रहण किया. लड्डुओं का स्वाद इतना अद्भुत था कि वे हैरान रह गए. वहीं पुजारियों के पूछे जाने पर बूढ़ी मां ने लड्डू बनाने की विधि बताई और तब से लड्डू प्रसिद्ध है.
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