संजय रॉय ने कहा कि वह हमेशा रूद्राक्ष की एक माला पहनता है। अगर उसने अपराध किया होता तो क्राइम सीन पर उसकी माला जरूर मिलती। वह नहीं मिली। उसने कहा कि असली गुनहगार आजाद घूम रहे हैं।
नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी ठहराया है। स्यालदा कोर्ट ने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को दोपहर 12:30 बजे होगी, जब संजय रॉय को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा और उसके बाद सजा सुनाई जाएगी। इससे पहले, संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए अपनी रुद्राक्ष माला का हवाला दिया और कहा कि यदि उसने अपराध किया होता तो क्राइम सीन पर उसकी रुद्राक्ष माला जरूर मिलती।
संजय रॉय, जो पश्चिम बंगाल पुलिस में वॉलंटियर के रूप में काम करता था, उन्होंने यह भी दावा किया कि उसे झूठा फंसाया गया है और इस हत्या के असली दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसने यह भी कहा कि अपराध में एक आईपीएस अधिकारी शामिल है, जिसे बचाया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आरोपी की सुनवाई सोमवार को होगी और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
संजय रॉय को भारतीय दंड संहिता की धारा 64 (जो बलात्कार से संबंधित है) और धारा 66 एवं 103 (1) (जो हत्या के लिए सजा का प्रावधान करती है) के तहत दोषी ठहराया गया है। बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत अपराधी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। पीड़िता के माता-पिता ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और न्यायाधीश का आभार व्यक्त किया, क्योंकि अदालत ने उनके विश्वास को सम्मानित किया।
यह घटना 9 अगस्त को घटी थी, जब 28 वर्षीय पीजी ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था। इस मामले में संजय रॉय को अगले दिन गिरफ्तार किया गया था, और जांचकर्ताओं का मानना था कि उसने अकेले ही अपराध किया। हालांकि, पीड़िता के परिवार और जूनियर डॉक्टरों का मानना था कि इसमें एक बड़ी साजिश हो सकती है।
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