देहरादून : उत्तराखंड में 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी। सीएम के सचिव शैलेश बगोली ने सभी विभागों को पत्र भेज दिया है। इसी दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूसीसी का पोर्टल भी लॉन्च करेंगे। नए कानून की अधिसूचना 27 जनवरी से ही जारी हो जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।
घोषणा से कानून बनने तक का सफर
- सीएम धामी ने 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान यूसीसी की घोषणा की थी।
- यूसीसी लाने का फैसला मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में लिया गया था।
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी।
- समिति को ऑफलाइन और ऑनलाइन 20 लाख सुझाव मिले थे।
- समिति ने 2.50 लाख लोगों से सीधे संवाद किया।
- 2 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने मुख्यमंत्री को मसौदा रिपोर्ट सौंपी।
- 6 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश किया गया।
- 7 फरवरी को विधानसभा ने विधेयक पारित किया।
- राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा।
- 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को मंजूरी दे दी।
- यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए समिति बनाई गई।
- नियम और क्रियान्वयन समिति ने 18 अक्टूबर 2024 को हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में नियम राज्य सरकार को सौंपा।
- नियमों को 20 जनवरी 2025 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी।

यूसीसी लागू हुआ तो ये बदलाव होंगे
- सभी धर्मों और समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और उत्तराधिकार के लिए एक जैसा कानून।
- 26 मार्च 2010 के बाद हर जोड़े के लिए अपने तलाक और विवाह को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा।
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा.
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
- पंजीकरण न कराने वालों को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित किया जाएगा।
- लड़के के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष होगी।
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथाएं खत्म होंगी। महिला के दोबारा विवाह करने के लिए किसी भी तरह की शर्तें प्रतिबंधित होंगी।
- अगर कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति को तलाक देने और गुजारा भत्ता पाने का अधिकार होगा।
- अगर पति-पत्नी जीवित हैं, तो दोबारा विवाह करना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
- पति-पत्नी के बीच तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच साल तक के बच्चे की कस्टडी मां के पास रहेगी। संपत्ति में बेटे और बेटी का बराबर अधिकार होगा।
- वैध और नाजायज बच्चों में कोई अंतर नहीं होगा।
- नाजायज बच्चे भी उस दंपत्ति के जैविक बच्चे माने जाएंगे।
- गोद लेने, सरोगेसी या सहायक प्रजनन तकनीक से पैदा हुए बच्चे जैविक बच्चे होंगे।
- महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति अधिकारों की रक्षा होगी।
- कोई भी व्यक्ति वसीयत के जरिए अपनी संपत्ति किसी भी व्यक्ति को दे सकता है।
- लिव-इन में रहने वाले हर व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- रजिस्ट्रेशन रसीद के साथ ही दंपत्ति घर, हॉस्टल या पीजी किराए पर ले सकेंगे।
- लिव-इन में पैदा हुए बच्चे वैध बच्चे माने जाएंगे और उन्हें जैविक बच्चों के सभी अधिकार मिलेंगे।
- लिव-इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा।
अनिवार्य रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर छह महीने की जेल या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होगा।
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