नैनीताल की Ground Report: शांत और हसीन वादियों के लिए पहचाना जाने वाला नैनीताल, गुस्से, डर और तनाव के साए में ढला पड़ा है. एक नाबालिग बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म ने पूरे शहर को झकझोर के रख दिया है. वीभत्स घटना के बाद शहर में भारी हंगामे के बाद तनाव फैल सा गया है, जिससे न केवल स्थानीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, बल्कि पर्यटन पर भी इसका काफी गहरा असर पड़ा है. सैलानी लौटने लगे हैं और होटलों, होमस्टे की बुकिंग रद्द की जा रही है. नैनीताल फिर शायद लॉकडाउन के बाद पहली बार एकदम खामोश सा नजर आ रहा है.
12 अप्रैल को 14 वर्षीय नाबालिग छात्रा जब बाजार से अपने घर को लौट रही थी, तभी पड़ोस में रहने वाले 73 वर्षीय उस्मान नाम के व्यक्ति ने उसे कथित तौर पर लालच देकर अपनी गाड़ी में खींच लिया और पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने उसे 2 हजार के नोटों का लालच देकर कार में बिठाया और चाकू दिखाकर उसके साथ दुष्कर्म करने लगा. घटना से सहमी बच्ची ने कुछ दिनों तक चुप्पी साधे रखी थी, पर अंततः उसने यह सारी बात अपनी बड़ी बहन को बताईऔर दोनों बहनें अपनी बुआ के साथ रुकुट कंपाउंड, नैनीताल में रहती हैं. जब परिजन को इसकी जानकारी हुई, तो वे मल्लीताल कोतवाली पहुंचे और आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई.
शिकायत दर्ज होने की खबर जैसे ही हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों तक पहुंची, नैनीताल में भारी जनाक्रोश फूट पड़ा और रात होते-होते सैकड़ों लोग कोतवाली के बाहर जमा हो गए. कोतवाली के पास स्थित गाड़ी पड़ाव क्षेत्र में, जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय की दुकानें हैं, वहां तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं सामने आईं. कुछ लोगों ने दुकानों में आगजनी की कोशिश भी की थी. मस्जिद के पास भीड़ जमा होते ही देख पुलिस को वहां अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा. पथराव, मारपीट, और तनावपूर्ण स्थिति के चलते पुलिस और प्रशासन ने तत्काल मोर्चा संभाला और मल्लीताल से तल्लीताल तक सभी बाजार बंद करवा दिए गए. नैनी झील, जिसे शहर का दिल कहा जाता है, वहां भी सन्नाटा पसरा रहा है.
1 मई की सुबह, गुस्सा और भड़का. हजारों स्थानीय नागरिक और संगठनों के कार्यकर्ता जुलूस निकालते हुए कमिश्नर कार्यालय पहुंचे और उन्होंने उत्तराखंड के आयुक्त दीपक रावत को ज्ञापन सौंपते हुए मांग करी कि आरोपी को कड़ी सजा दी जाए और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में भी मुकदमा चलाया जाए. ज्ञापन सौंपने के बाद प्रदर्शनकारी फिर से कोतवाली लौट आए और आरोपी को उन्हें सौंपे जाने की मांग करने लगे. हालात को देखते हुए पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी.
स्थानीय जनता का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि जिले के शीर्ष अधिकारी जैसे डीएम और एसएसपी घटना के बाद भी मौके पर नहीं पहुंचे. पुलिस अधीक्षक डॉ. जगदीश चंद्र और एसडीएम वरुणा अग्रवाल जरूर लगातार मौके पर मौजूद थे, लेकिन उच्च अधिकारियों की अनुपस्थिति ने जनाक्रोश को और भड़का दिया गया है.
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मेडिकल परीक्षण व पूछताछ की प्रक्रिया पूरी कर रही है.आमजन से अपील की गई है कि वे अब शांति बनाए रखें और कानून को अपना काम करने दें. पुलिस प्रवक्ता के अनुसार मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच कर रहे हैं. आरोपी को कानून के तहत सजा दिलवाने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी.
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