होली रंगों का त्यौहार है, जिसमें लोग अपनी पुरानी दुश्मनी भुलाकर गले मिलते हैं और प्रेम व सौहार्द का संदेश देते हैं। लेकिन इस बार होली पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे है...
उत्तर प्रदेश: होली रंगों का त्यौहार है, जिसमें लोग अपनी पुरानी दुश्मनी भुलाकर गले मिलते हैं और प्रेम व सौहार्द का संदेश देते हैं। लेकिन इस बार होली पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं। इसी बीच, संभल में 10 मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का ऐलान किया गया है। यह घोषणा स्वयं संभल के एसपी श्रीश चंद्र ने की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि होली के दिन किसी भी व्यक्ति पर जबरदस्ती रंग डालना कानूनी अपराध होगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इस बार होली और जुम्मा (शुक्रवार) एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिससे संभावित तनाव को ध्यान में रखते हुए संभल को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसके अलावा, शाहजहांपुर में भी मस्जिदों को तिरपाल से ढका गया है। हालांकि, इसके पीछे किसी दंगे की आशंका नहीं, बल्कि यह एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जिसे हर साल पालन किया जाता है।
इस बार प्रशासन ने जुलूस मार्ग पर स्थित लगभग 20 मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया है, ताकि उन पर रंग न पड़े। विद्युत ट्रांसफार्मरों के पास भी अवरोधक लगाए गए हैं। नगर आयुक्त डॉ. विपिन कुमार मिश्रा के अनुसार, मार्ग पर 350 से अधिक सीसीटीवी और स्टिल कैमरे लगाए गए हैं ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
शहर में कुल 18 जुलूस निकलते हैं, जिनमें से दो प्रमुख हैं।
बड़े ‘लाट साहब’ जुलूस को तीन जोन और आठ सेक्टर में बांटा गया है।
100 मजिस्ट्रेट, 10 पुलिस क्षेत्राधिकारी, 250 उपनिरीक्षक और 1500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे।
पीएसी की दो कंपनियां सुरक्षा में तैनात की गई हैं।
2423 लोगों पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई है।
जुलूस मार्ग पर सफाई के लिए दो ट्रैक्टर-ट्रॉली भी चलेंगी।
यह परंपरा 1728 से चली आ रही है। नवाब अब्दुल्ला खान के समय से जनता के साथ होली खेलने की यह परंपरा शुरू हुई। 1930 में जुलूस ऊंट गाड़ी पर निकला और समय के साथ इसका स्वरूप बदलता गया। 1990 के दशक में इसे रोकने के लिए याचिका दायर हुई, लेकिन अदालत ने इसे ऐतिहासिक परंपरा मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। कुंचा लाला से शुरू होकर यह जुलूस फूलमती मंदिर तक जाता है, फिर कोतवाली पहुंचता है। वहां ‘लाट साहब’ कोतवाल से पूरे साल के अपराधों का ब्योरा मांगते हैं, और कोतवाल उन्हें ‘रिश्वत’ के रूप में शराब की बोतल व नकद धनराशि भेंट करता है।
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