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जब सिर्फ 20 हजार में हुआ था महाकुंभ का आयोजन, भव्यता देख पूरी दुनिया हो गई थी हैरान

प्रयागराज : महाकुंभ पर यूपी सरकार ने कितना खर्च किया ? इसकी चर्चा देश-विदेश में हो रही है। इस बार तो योगी सरकार ने 7000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। क्या आपको पता है कि एक समय यह भी था कि महाकुंभ का आयोजन मात्र 20,000 रुपये में संपन्न हुआ था।

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Mahakumbh 2025
  • January 13, 2025 9:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

1882 में महाकुंभ का आयोजन मात्र 20,288 रुपये में हुआ था। उस समय करीब 8 लाख लोग संगम में स्नान करने आए थे, जबकि देश की कुल आबादी 22.5 करोड़ थी। यह शुरुआती कुंभ आयोजन बजट के लिहाज से सबसे सरल था।

 

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1894 तक देश की आबादी 23 करोड़ हो गई थी और कुंभ में स्नान करने वालों की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई थी। उस साल इस आयोजन पर 69,427 रुपये खर्च हुए थे, जो आज के हिसाब से करीब 10.5 करोड़ रुपये होते हैं।

 

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1906 के कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर 25 लाख हो गई। इस आयोजन पर 90,000 रुपए खर्च हुए, जो आज के समय में करीब 13.5 करोड़ रुपए के बराबर है।

 

 Mahakumbh 2025

 

1918 में कुंभ में 30 लाख श्रद्धालु आए थे और आयोजन का बजट 1.37 लाख रुपये था। यह व्यय आज लगभग 16.44 करोड़ रुपये है, जो उस समय की महत्ता और व्यवस्था को दर्शाता है।

 

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2019 के महाकुंभ मेले का बजट 4,200 करोड़ रुपये था। इस आयोजन को अब तक का सबसे बड़ा और सबसे व्यवस्थित कुंभ माना गया, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।

 Mahakumbh 2025

 

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 के लिए 5,435.68 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। कुल मिलाकर, आयोजन की अनुमानित लागत लगभग 7,500 करोड़ रुपये तक हो सकती है, जिसमें केंद्र सरकार का 2,100 करोड़ रुपये का योगदान भी शामिल है।

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समय के साथ-साथ श्रद्धालुओं की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए स्वच्छता, सुरक्षित स्नान घाट, चिकित्सा सुविधाएं और आधुनिक परिवहन सेवाएं सुनिश्चित की गई हैं।

 Mahakumbh 2025

2025 के महाकुंभ में सुरक्षा और सुविधा के लिए ड्रोन, सीसीटीवी और स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। हर श्रद्धालु को बेहतर अनुभव देने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों से व्यवस्थाओं को मजबूत किया गया है।

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महाकुंभ अब न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह आयोजन भारत की परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है और देश-विदेश से लोगों को आकर्षित करता है।

 

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