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एक मंदिर, एक कुआं, और एक श्मशान’ हिंदू समाज को लेकर मोहन भागवत का बड़ा बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को दो प्रमुख शाखाओं में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। वह अलीगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों को समाज में समरसता लाने और राष्ट्र निर्माण के लिए पांच परिवर्तन का मंत्र दिया।

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inkhbar News
  • April 20, 2025 7:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 weeks ago

नई दिल्ली। शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दो प्रमुख शाखाओं में स्वयंसेवकों को संबोधित किया है। वह अलीगढ़ के पांच दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों को समाज में समरसता और राष्ट्र निर्माण के लिए पांच परिवर्तन का मंत्र दिया। उन्होंने कहा है कि अगर समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है तो हमें परिवार, समाज और राष्ट्र स्तर पर काम करना होगा।

एकता का भाव

भागवत एचबी इंटर कॉलेज परिसर में स्थित सनातन शाखा और शाम को पंचनगरी की भगत सिंह शाखा पहुंचे हैं। दोनों शाखाओं में उन्होंने शाखा टोली से संवाद करते हुए कहा कि समाज में समरसता को मूर्त रूप देना चाहिए। साथ ही ‘एक मंदिर, एक कुआं, और एक श्मशान’ का सिद्धांत अपनाना जरूरी है। इससे समाज के अंदर व्याप्त भेदभाव और ऊंच-नीच की दीवार टूटेगी। सभी जातियों में एकता का भाव जरूरी है.

सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान

स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने हिंदू समाज के सदस्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान किया। केवल ‘समरसता’ के माध्यम से ही यह प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सामाजिक सद्भाव पर जोर दिया। भागवत ने शाखा टोली को पंच परिवर्तन के पांच प्रमुख आयामों पर कार्य करने को कहा, जिसमें कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्व जागरण, नागरिक कर्तव्य शामिल हैं।

पांच विषयों का सामाजिक अभियान

इस बार के आरएसएस शताब्दी वर्ष के दौरान संघ ने पांच विषयों का सामाजिक अभियान लेकर शुरू किया है। स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज की आधारशिला के रूप में संस्कार के महत्व को रेखांकित किया और सदस्यों से परंपरा, सांस्कृतिक मूल्यों और नैतिक सिद्धांतों पर समाज बनाने का आग्रह किया।

जातियों और वर्गों से संवाद

मोहन भागवत ने कहा है कि समाज में समरसता और समानता लाने के लिए आरएसएस सदस्यों को हर घर जाना चाहिए। सभी जातियों और वर्गों से संवाद करना चाहिए, उन्हें अपने घर आमंत्रित करना चाहिए और उनके साथ मिलकर तीज-त्यौहार मनाने चाहिए। इसके तहत समरसता सम्मेलन, ग्राम देवता आराधना, सामूहिक खिचड़ी सहभोज, सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

 

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