नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल (Silkyara Tunnel) हादसे का आज 9वां दिन है। 9 दिन से इस टनल में 41 मजदूर फंसे हुए हैं। दरअसल, उत्तरकाशी में 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके भीतर काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए। अब घटना के 8 दिन बीत चुके हैं, पर अभी तक यहां फंसे मजदूरों को बाहर नहीं निकाला गया है। बीतते समय के साथ सुरंग के बाहर मजदूरों का इंतजार कर रहे उनके परिजनों में निराशा बढ़ती जा रही है। हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
घटना की अपडेट
सोमवार (20 नवंबर) की शाम को टनल (Silkyara Tunnel) में फंसे मजदूरों को 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए सेब, खिचड़ी, दलिया दिया गया है। अभी डंडालगांव की तरफ से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए काम किया जा रहा है। इसके अलावा, यहां एंडोस्कोपी जैसा एक कैमरा भी मंगाया जा रहा है ताकि अंदर फंसे लोगों को देखा जा सके। बता दें कि इस सुरंग के अंदर भेजने के लिए रोबोट भी मंगाए गए हैं। हालांकि, अभी इन रोबोट्स को टनल के अंदर भेजने में सफलता नहीं मिली है।
क्यों खास है यह टनल?
उत्तरकाशी का यह सिलक्यारा टनल एक बेहद खास है। यह सुरंग पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट चारधाम रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसी वजह से प्रधानमंत्री इसपर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इस टनल के पूरा होने से यमुनोत्री जाने वालों को कनेक्टिविटी मिलेगी। साथ ही इससे धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे यात्रा करने वालों का एक घंटा का समय बचेगा।
क्या है चारधाम प्रोजेक्ट?
चारधाम रोड प्रोजेक्ट एक तरह से ऑल वेदर रोड परियोजना है। यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक के लागत की यह परियोजना उत्तराखंड में 4 धामों को जोड़ने का काम करेगी। ये 4 धाम हैं- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ। इस परियोजना से तीर्थटन और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पहले इस प्रोजेक्ट का नाम ऑल वेदर रोड परियोजना ही था, जिसे बाद में बदलकर चारधाम प्रोजेक्ट कर दिया गया। साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी।