नई दिल्ली: लखनऊ की NIA-ATS स्पेशल कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण गिरोह के मास्टरमाइंड मौलाना उमर गौतम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसके साथ 11 अन्य दोषियों को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है, जबकि चार दोषियों को 10-10 साल की सजा हुई है। मौलाना उमर गौतम का नाम तब चर्चा में आया जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे दिव्यांगों को जबरन इस्लाम धर्म अपनाने के आरोप में गिरफ्तार किया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह खुलासा हुआ कि धर्मांतरण का यह गोरखधंधा केवल उत्तर प्रदेश के फतेहपुर तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश में फैल चुका था।
मौलाना उमर गौतम का असली नाम श्याम प्रताप सिंह था, जो फतेहपुर जिले के थरियांव थाना क्षेत्र के पंथुवा गांव का रहने वाला है। उसका जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था। करीब 39 साल पहले, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर मौलाना उमर गौतम रख लिया। उसने पंतनगर यूनिवर्सिटी से बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई की थी और फिर लॉ की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।
उमर गौतम के पिता का निधन तीन साल पहले हुआ था, जिसके बाद वह अपने गांव आया था। गांव में उसकी बदली हुई वेशभूषा ने लोगों को चौंका दिया था। इसके बाद वह गांव में नहीं दिखा। श्याम प्रताप सिंह की पहली पत्नी से दो बच्चे थे, लेकिन मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उसके ससुर ने अपनी बेटी को उसके पास भेजने से मना कर दिया। बाद में उसकी पत्नी उसके साथ दिल्ली चली गई और उमर ने एक मुस्लिम महिला से दूसरी शादी भी कर ली। उसने अपने पूरे परिवार का भी धर्मांतरण करवा दिया था।
एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने बुधवार को अवैध धर्मांतरण मामले में मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। चार अन्य दोषियों राहुल भोला, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, मोहम्मद सलीम, और कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ को 10-10 साल की सजा दी गई।
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