श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को एनकाउंटर में आम जनता की हो रही मौत पर जमकर बवाल हुआ. उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेश्नल कांन्फ्रेंस और कांग्रेस विधायकों ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी को इस मामले पर जमकर घेरा. नेशनल कांन्फ्रेंस के विधायक हाथों में स्टॉप सिविल किलिंग का बैनर हाथों में लिए विधानसभा पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
नेशनल कांन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी सरकार को घेरते हुए कहा कि जब भी वो अखबार में किसी निर्दोष की हत्या की खबर पढ़ते हैं तो हम ये भी पढ़ते हैं कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अफसोस जताया. बतौर उमर ‘मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सिर्फ लेक्चर देती हैं. हम उनका भाषण सुनने के लिए तैयार नहीं है. हम यहां एनकाउंटर में हो रही सिविल किलिंग पर बात करना चाहते हैं, इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री का जवाब सुनना चाहते हैं और अगर मुख्यमंत्री इस बारे में चार शब्द भी नहीं कहना चाहतीं तो हमें सदन में नहीं बैठना है.’ अपनी बात खत्म करते ही उमर अब्दुल्ला विधायकों समेत सदन से वॉकआउट कर गए. इस मामले पर महबूबा मुफ्ती ने सदन में सरकार का पक्ष का सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिया.
उमर अब्दुल्ला के सवालों पर महबूबा मफ्ती का जवाब
- मुझे नहीं मालूम की उमर साहब सदन से क्यों चले गए. हालात सुधर रहे हैं लेकिन अब भी काफी सुधार होना बाकी है. सिर्फ सरकार के चाहने से ही हालात नहीं सुधरेंगे. हमें राज्य के युवाओँ तक पहुंचना होगा. जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल इलाका है जो धर्म के नाम पर अलगाव के खिलाफ है.
- हमने धर्म के नाम पर पाकिस्तान के साथ ना जाते हुए भारत के साथ रहने का फैसला किया था. हम चाहते हैं कि हम भारत के सिर का ताज बने. मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर धर्म के नाम पर विभाजित होना नहीं जानता.
- गांधी जी को जम्मू-कश्मीर में उम्मीद की किरण नजर आई थी. जम्मू-कश्मीर ही वो राज्य है जहां बंटवारे के समय कोई खून खराबा नहीं हुआ.
- हमें अच्छे स्कूल चाहिए, अस्पताल चाहिए, लेकिन हम बॉर्डर पर बंकर बना रहे हैं. एलओसी पर छात्रों परेशान हैं. क्या बंकर उन्हें शिक्षा दे सकते हैं?
- हमें इसी भारत देश से सबकुछ मिलेगा. जम्मू-कश्मीर के लोग चाहे वो मुख्यधारा से जुड़े हों या ना हों, उन्हें सिर्फ भारत से वो सबकुछ मिलेगा जो वो चाहते हैं.
- मोदी जी को कश्मीर की समस्या सुलझाने के लिए बहुमत मिला है. हमें इस देश से सबकुछ मिलेगा.
- कश्मीर में आज जो भी कोई मर रहा है वो हमारा नागरिक है. चाहे वो फौज का जवान हो या फिर वो जो आंतकियों के हाथों मारे जाने वाला नागरिक.
- हमें मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का समाधान करना है.
- बातचीत के लिए एक टीम का गठन किया गया जो बात करने के लिए अलगाववादियों के दरवाजे तक गई लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया. वो कमजोर लोग नहीं थे लेकिन वो बातचीत के जरिए मामले का हल निकालना चाहते थे.
- साल 2010 में पैलेट गन घाटी में आए. 22 लोगों की आंखों को पैलेट से नुकसान पहुंचा. 5 लोगों की आंख पूरी तरह चली गई. उन्हीं में से एक इंशा है है जिसकी आंखें चली गई. उसे हमने गैस एजेंसी दी है. कल ही उसने अपना दसवीं का एग्जाम पास किया है.
- जिन बच्चों को हाथों में पैन होना चाहिए उनके हाथों में ये लोग हथियार देते हैं और कहते हैं कि लड़ो और मरो, तुम्हें जन्नत नसीब होगी.
- हम चाहते हैं कि स्थानीय युवा जो मिलिटेंट बन गए हैं वो घर लौट आएं. मुझे उम्मीद है कि मनन वानी वापस लौट आएगा क्योंकि उसके घरवाले और उसके एएमयू के दोस्त चाहते हैं कि वो वापस आ जाए.
- जहां तक पाकिस्तान का सवाल है- मैं भारत की विदेश नीति में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती मगर एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि जब-जब भारत-पाकिस्तान के रिश्ते खराब होंगे, तब-तब कश्मीर पर इसका असर पड़ेगा.
- पाकिस्तान ने वाजपेयी जी के दौरे को सही रिस्पॉस नहीं दिया. मुझे खुशी है कि दोनों देशों के एनएसए की मुलाकात हुई है.