जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने उत्तराखंड में यूसीसी के खिलाफ सरकार को चुनौती दे दी है। जमीअत उलमा हिंद ने बयान जारी कर कहा है कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों को किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
नई दिल्ली। उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता लागू कर दिया गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कल यूसीसी का पोर्टल लॉन्च कर यूसीसी को राज्य में लागू कर दिया है। अब इस कानून को लेकर राज्य में बवाल मच गया है। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी ने उत्तराखंड में यूसीसी के खिलाफ सरकार को चुनौती दे दी है। जमीअत उलमा हिंद ने बयान जारी कर कहा है कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों को किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। मौलाना महमूद असद मदनी ने उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता को संविधान में मौजूद धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर इस कानून को लागू करना न्याय विरोधी है। भारत के विधि आयोग द्वारा मंगाए गए जनता के सुझावों से यह बात सामने आ गई थी कि देश के अधिकांश लोग समान नागरिक संहिता को स्वीकार नहीं करते। इसलिए विधि आयोग ने सरकार को सलाह दी थी कि समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं थी। इसके बावजूद सरकार ने एक तानाशाह की तरह इस कानून को जनता पर थोपकर लोकतंत्र की हत्या की है। इस्लामी शरिया का समर्थन करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि हम इस बात पर दृढ़ हैं कि मुसलमान इस्लामी शरिया पर पूरी तरह डटे रहेंगे और इस रास्ते में आने वाले किसी भी कानून की परवाह नहीं करेंगे।
मौलाना महमूद मदनी ने आगे कहा कि हमारा देश अनेकता में एकता का एक महान उदाहरण है। इसको नजरअंदाज कर जो भी कानून बनाया जाएगा, उसका सीधा असर देश की एकता और अखंडता पर पड़ेगा। यह अपने आप में समान नागरिक संहिता के विरोध का सबसे बड़ा कारण है।
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