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मुस्तफाबाद से दिल्ली चुनाव में क्यों हारे ताहिर हुसैन, आखिर मुसलमानों ने क्यों नकारा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं. भारतीय जनता पार्टी यहां सरकार बना रही है. आम आदमी पार्टी तो हारी ही है, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी अपना खाता नहीं खोल पाई है. ओवैसी ने सीएए-एनआरसी के केंद्र शाहीनबाग (ओखला) से उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन वह जीत नहीं सके. वहीं, ओवैसी ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से टिकट दिया था. वहीं अब सवाल यह उठता है कि आखिर ताहिर हुसैन क्यों मुस्तफाबाद से हारे?

Delhi elections in Mustafabad lose from Why did Tahir Hussain, why did Muslims reject him
  • February 8, 2025 8:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं. भारतीय जनता पार्टी यहां सरकार बना रही है. आम आदमी पार्टी तो हारी ही है, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी अपना खाता नहीं खोल पाई है. ओवैसी ने सीएए-एनआरसी के केंद्र शाहीनबाग (ओखला) से उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन वह जीत नहीं सके. वहीं, ओवैसी ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से टिकट दिया था. यहां भी ओवेसी जीत तो नहीं पाए, लेकिन उनके उम्मीदवार को इतने वोट मिले, जिससे आप उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा.

वोटों का बंटवारा हुआ

वहीं अब सवाल यह उठता है कि आखिर ताहिर हुसैन को क्यों मात मिली. दरअसल इस के पीछे तीन वजह है. पहली यह वजह है कि दिल्ली दंगे में ताहिर का हाथ था. वहीं दूसरी वजह यह है कि अंकित शर्मा की हत्या और तीसरी वजह यह है कि वो ओवैसी की पार्टी से खड़े हुए. आपको बता दें कि कई लोग तो ताहिर के सपोर्ट में थें, लेकिन कई लोग उसके खिलाफ भी थें. वहीं इसी बीच लोगों का यह भी कहना है कि मुस्तफाबाद से तीन मुसलमान खड़े हुए थे, जिस वजह से वोट का बंटवारा भी हो गया.

काफी लोग नाराज भी थें

बता दें कि मुस्तफाबाद में मुसलमान तो हैं ही, लेकिन वहां हिंदुओं की आबादी भी अच्छी खासी है। मुस्तफाबाद जीतने के लिए ताहिर को दोनों समुदायों का साथ चाहिए था। वहीं, दिल्ली दंगों को लेकर और ओवैसी की पार्टी को लेकर काफी लो ग नाराज थे, जिस वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं, अगर मुस्तफाबाद से सिर्फ ताहिर हुसैन मुसलमानों के बीच खड़े होते तो जीतने का मौका थोड़ा बढ़ सकता था, लेकिन जो लोगों की नाराजगी थी, वह दूर नहीं होती। इस वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ता, लेकिन कम वोटों से हारते।

 

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