दिल्ली में बीजेपी को बंपर जीत मिली है लेकिन इन 8 पॉइंट्स पर अगर उसने मेहनत न की होती तो केजरीवाल को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता। जानिए वो कौन सी 8 बड़ी चालें हैं जो बीजेपी ने चलीं और बाजी मार ली।
नई दिल्ली नई दिल्ली में तीन बार सत्ता में रहे अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से हार गए हैं। डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 12 साल बाद दिल्ली से AAP बेदखल हो गई है। यह पहला मौका है जब कांग्रेस हार के बाद भी चुप बैठी है। 12 साल के इतिहास में आम आदमी पार्टी को 440 वोल्ट का झटका लगा और तख्तापलट का भी सामना करना पड़ा है। ऐसा कैसे हुआ? कैसे चला मोदी मैजिक? जानिए 8 अहम पॉइंट्स ….
साल 2021 में केजरीवाल सरकार नई शराब नीति लेकर आई. एलजी को इस नीति में अनियमितताएं दिखीं और उन्होंने सीबीआई जांच की सिफारिश की. साल 2022 में सीबीआई ने भ्रष्टाचार और ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए. केजरीवाल कुल 177 दिन जेल में रहे. बीजेपी ने जेल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. केजरीवाल के सरकारी बंगले के जीर्णोद्धार पर 45 करोड़ रुपये के खर्च को मुद्दा बनाया गया. केजरीवाल की संपत्ति 40 गुना बढ़ने के आरोप लगे.
भाजपा ने इस चुनाव को पीएम मोदी बनाम केजरीवाल बना दिया। प्रधानमंत्री ने अपने नाम पर वोट मांगे। 29 जनवरी को करतार नगर की रैली में पीएम ने साफ कहा- ‘मोदी को दिल्ली में सेवा का मौका दीजिए।’ भाजपा ने चुनाव के दौरान इसका जमकर प्रचार भी किया। अखबारों में विज्ञापन देकर दिल्ली चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की। पीएम मोदी ने भी अपने भाषणों में आयकर छूट का दायरा बढ़ाने का जिक्र किया। दिल्ली चुनाव से तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने बजट पेश किया। इसमें 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया गया। यानी आप की मांग से ज्यादा छूट दी गई।
भाजपा ने चुनाव के दौरान मिडिल क्लास पर फोकस किया और इसका जमकर प्रचार भी किया। अखबारों में विज्ञापन देकर दिल्ली चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की। पीएम मोदी ने भी अपने भाषणों में आयकर छूट का दायरा बढ़ाने का जिक्र किया। दिल्ली चुनाव से तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने बजट पेश किया। इसमें 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया गया। यानी आप की मांग से ज्यादा छूट दी गई है।
दिल्ली में भी बीजेपी ने विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे को चुनाव में घेरकर हराने की रणनीति बनाई और वह सफल भी रही. केजरीवाल से पहले बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी और 2021 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हरा चुकी है. दिल्ली में इस रणनीति को सफल बनाने के लिए बीजेपी ने अपने सबसे बड़े चेहरे प्रवेश वर्मा को केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से मैदान में उतारा. प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और जाटों के बड़े नेता भी हैं.
दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने यूपी और बिहार से 100 से ज़्यादा नेताओं को मैदान में प्रचार के लिए उतारा था। इस टीम की कमान बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी को सौंपी गई थी। इन नेताओं ने उन इलाकों में सौ से ज़्यादा छोटी-बड़ी सभाएं कीं जहां पूर्वांचल के लोग हैं। सांसद मनोज तिवारी ने केजरीवाल के घर के बाहर पूर्वांचल सम्मान मार्च भी निकाला।
नवंबर 2024 में केजरीवाल ने ‘रेवड़ी पर चर्चा’ अभियान शुरू किया। इस अभियान को मोदी पर कटाक्ष के तौर पर देखा गया, क्योंकि पीएम मोदी अक्सर रेवड़ी संस्कृति को लेकर केजरीवाल को घेरते रहे हैं।इस चुनाव में बीजेपी ने रणनीति के तहत केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं की आलोचना नहीं की। बीजेपी और खुद मोदी ने अपनी रैलियों में बार-बार दोहराया कि वे दिल्ली सरकार की किसी भी योजना को बंद नहीं करेंगे। उल्टे आप से ज्यादा फ्री कि रेवड़ियों का ऐलान कर डाला.
केजरीवाल ने यमुना की सफाई और पानी की आपूर्ति का वादा पूरा न करने के लिए माफी भी मांगी। केजरीवाल ने भाजपा पर यमुना के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाया। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया और चुनाव आयोग में केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। दो दिन बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री ने केजरीवाल को चुनौती देते हुए यमुना का पानी पी लिया।
पिछले एक साल में आम आदमी पार्टी के 50 से ज़्यादा नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। इनमें विधायक, पूर्व विधायक और पार्षद शामिल हैं। दिल्ली में वोटिंग से चार दिन पहले आप के आठ विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए।
लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने हिंदू, मुसलमान और घुसपैठिए जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। झारखंड-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘अगर बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे’ जैसे नारे लगे, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी।
मोदी ने 3 जनवरी से 2 फरवरी के बीच दिल्ली में कुल 5 रैलियां कीं। उन्होंने किसी भी रैली में हिंदू, मुसलमान या घुसपैठिए जैसे शब्दों का जिक्र नहीं किया। पीएम ने ‘अगर बंटेंगे तो कटेंगे’ या ‘एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे’ जैसे नारे भी नहीं लगाए।
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